East Champaran : बिहार में पूर्वी चंपारण जिला अन्तर्गत भारत-नेपाल सीमा के सीमावर्ती शहर रक्सौल में पुलिस और सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) 47वीं बटालियन ने संयुक्त रूप से बड़ी कार्रवाई करते हुए दो फर्जी मार्केटिंग कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की है। इस दौरान करीब 400 नाबालिग और बालिग युवकों को रेस्क्यू किया गया।
एसपी स्वर्ण प्रभात के निर्देश पर रक्सौल एसडीपीओ धीरेन्द्र कुमार और एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट दीपक कृष्णा के नेतृत्व में बड़ी संख्या में एसएसबी व महिला पुलिस बल के जवानो ने इन फर्जी कंपनियों का जालसाजी नेटवर्क को ध्वस्त किया है।
इन कंपनियों में बिन मेकर और डीबीआरओ दिनकर एसोसिएट्स शामिल हैं, जो दवा कंपनी और नेटवर्किंग की आड़ में वर्षों से किशोरों और युवकों को नौकरी के नाम पर ठग रही थी। इन कंपनियों का नेटवर्क बिहार, उत्तर प्रदेश, नेपाल, उड़ीसा समेत कई राज्यों तक फैला हुआ है। हर दिन 100 से 500 बच्चों को फॉर्मल ड्रेस में शहर के अलग-अलग इलाकों में देखा जाता था। ये बच्चे नागा रोड, कोइरिया टोला, ब्लॉक रोड, सैनिक रोड, कौड़ीहार, मौजे आदि इलाकों में प्रतिदिन घूमते नजर आते थे।
गुप्त जांच के बाद हुई कार्रवाई
एसएसबी की मानव तस्करी रोधी इकाई को इस जालसाजी की सूचना मिली थी। सूचना के बाद गुप्त जांच कर बड़े पैमाने पर रेड की योजना बनाई गई। पुलिस और एसएसबी के भारी दल-बल के साथ एक साथ कई ठिकानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान चार लड़कियों समेत लगभग 400 सौ बच्चों को मुक्त कराया गया। हालांकि, अब तक कंपनी के संचालको में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
एसपी स्वर्ण प्रभात ने कहा कि नेपाल, उत्तरप्रदेश, बिहार के अन्य जिलों से बच्चों को नौकरी देने के बहाने बुलाया जाता है। बच्चों को बुलाकर बंधक बना कर पैसे भी वसूले जाते थे। सूचना के बाद, रक्सौल पुलिस व एसएसबी के द्वारा छापेमारी कर चार सौ बच्चों को मुक्त कराया गया है। इसमे नाबालिग बच्चें भी शामिल है। वही चार पांच लोगो को गिरफ्तार भी किया गया है।
एसडीपीओ धीरेन्द्र कुमार ने कहा कि दवा कंपनी और नेटवर्किंग के नाम पर बच्चों को फंसाया जाता था। हमें धोखाधड़ी और जालसाजी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं, जिसके बाद कार्रवाई कर 400 बच्चों को मुक्त कराया गया। आगे दोषियों की पहचान कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट दीपक कृष्णा ने बताया कि हमें सूचना मिली थी कि नौकरी के नाम पर बच्चों से पैसे लेकर उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही थी। कई राज्यों के युवक इन फर्जी कंपनियों के जाल में फंस रहे थे। हमने छापेमारी कर इन बच्चों को बचाया है। इनमें से कई बच्चों से दवा की पैकिंग कराई जा रही थी। स्थानीय समाजिक संगठनो ने बताया कि ये फर्जी कंपनियां वर्षो से संचालित हो रही थी। लेकिन प्रशासनिक निष्क्रियता के कारण ये फल फूल रहे थे। लोगो ने दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।
छापेमारी टीम में डीएसपी धीरेंद्र कुमार, एसएसबी 47 बटालियन के असिस्टेंट कमांडेंट नेहा सिंह, दीपक कुमार डिप्टी कमांडेंट, एसएसबी एसी रजक मिश्रा, सीओ शेखर राज मजिस्ट्रेट,पुलिस इंस्पेक्टर राजीव नंदन सिन्हा, सब इंस्पेक्टर एकता कुमारी, नेहा कुमारी, अनीता कुमारी शामिल थे।