रांची। किसी भी देश या समाज में संगठन की ताकत सबसे बहुमूल्य हथियार माना जाता है जिसके बदौलत ही इन्साफ का द्वार खोला जा सकता है जबकि बिखरा हुआ समाज या परिवार से संघर्ष की ताकत कमजोर हो जाती है। फलस्वरूप स्वयं बादशाह नहीं बन सकते लेकिन दूसरे लोग बादशाह जरूर बन जाते हैं।पारा शिक्षकों की एकता और संघर्ष की ताकत से सरकार का सिंहासन हिल जाता था।ब्यूरोक्रेट की ओछी मानसिकता और दमन की प्रभावशीलता बेअसर साबित हो जाया करता था। परंतु जबसे पारा शिक्षकों के सशक्त संगठन और मजबूत इरादों की बिखरती हुई चिंगारी सरकार और नौकरशाहों के कदमों तक पहुंचते ही पारा शिक्षकों पर जुल्म और प्रशासनिक दमन का प्रहार शुरू हो गया। उक्त बातें राज्य के सभी पारा शिक्षकों से सुखदेव ने कही। उन्होंने कहा कि मित्रों जब से पारा शिक्षकों की आपसी फुट, सांगठनिक गुरूर, रोज नए नए संगठन का निर्माण तथा प्रखण्ड, जिला और प्रदेश अध्यक्ष बनने की होड़ मची। तब से पारा शिक्षकों की एकता और संघर्ष की ताकत कमजोर साबित होती गई और नए नए तकनीकि अड़चनों और दमनचक्र का सृजन होता दिखाई दे रहा है।
चाहे फेक यूनिवर्सिटी की बात हो चाहे अंडर एज की बात हो चाहे फर्जी साबित होने की बात हो, चाहे फिर निर्धारित मापदंडों के प्रतिकूल नियुक्तियों तथा आरक्षण रोस्टर का अनुपालन सुनिश्चित नहीं हो पाने की बात हो। कुल मिलाकर पारा शिक्षकों की एकता और अखंडता पर सरकार के दलाल और प्रखण्ड से लेकर राज्य तक के ब्यूरोक्रेट की दलाली करने वालों की जादुई ताकत का प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है। इन विषम परिस्थितियों में पारा शिक्षकों की एकता और संघर्षशील विरासत तथा जुल्म और शोषण के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले यशस्वी पारा शिक्षक नेताओं की शक्तिशाली हथियार विखंडित हो चुका है आंदोलनात्मक ताकत बिखर चुका है। राज्य के तमाम सहायक अध्यापकों/पारा शिक्षकों से विनम्र अपील है कि बिखरता हुआ समाज और देश की बिखरी हुई चिंगारी से देश और समाज सुरक्षित नहीं रह सकता है। उसी तरह पारा शिक्षकों की एकता और बिखरी हुई ताकत से आपके उज्जवल भविष्य की कामना करना निरर्थक साबित होगा। उन्होंने कहा कि राज्य के तमाम 65 हजार पारा शिक्षकों से विनम्र निवेदन है कि आपसी फुट और आपसी गीले सिकवे को भूल कर पुनः नए जोश और जुनून के साथ सशक्त संगठन के निर्माण में अहम योगदान समर्पण के साथ संघर्ष की कारवां को सजाते हुए वेतनमान के कुरुक्षेत्र में कौरवों को पराजित कर पांडवों पर विजय का झण्डा फहराएं। तभी 65000 पारा शिक्षकों के साथ उनके सारे परिवार के उज्जवल भविष्य एवं वेतनमान की आकांक्षाएं पुरी हो सके।वरना वेतनमान वेतनमान चिल्लाते चिल्लाते उम्र सीमा समाप्त हो जाएगा और पारा शिक्षकों का 20 वर्षों का ऐतिहासिक और बहुमुल्य सपना अधूरा रह जाएगा और भविष्य में अपने परिवार और समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रह जायेंगे और दोष देंगे अपने किस्मत और अपने भाग्य को। उन्होंने कहा कि सभी संगठित होकर नए जोश और उत्साह तथा जुनून के साथ उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान समर्पित कर शिक्षा के जगत में अपना नाम रौशन करें।