बैंक ऑफ महाराष्ट्र की ओर से अखिल भारतीय हिंदी सेमिनार का आयोजन

Ranchi। बैंक ऑफ महाराष्ट्र देश के सार्वजनिक क्षेत्र का अग्रणी बैंक है। बैंक द्वारा देश भर के सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों के लिए दिल्ली में ‘भविष्य की बैंकिंग’ विषय पर अखिल भारतीय हिंदी सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सेमिनार में अंशुली आर्या, आईएएस, सचिव, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के कार्यपालक निदेशक आशीष पाण्डेय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। सेमिनार में सुश्री चित्रा दातार, महाप्रबंधक, के. राजेश कुमार, महाप्रबंधक, मानव संसाधन प्रबंधन एवं राजभाषा, हरि शंकर वत्स, अंचल प्रबंधक, दिल्ली अंचल तथा डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव, उप महाप्रबंधक (राजभाषा) प्रमुखता से उपस्थित थे।

इस सेमिनार में वित्तीय सेवाएं विभाग, वित्त मंत्रालय के निदेशक जगजीत कुमार तथा उप निदेशक धर्मबीर ने विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित होकर सभी का मार्गदर्शन किया। सेमिनार में सभी बैंकों, वित्तीय संस्थाओं और बीमा कंपनियों के शीर्ष कार्यपालकों और राजभाषा प्राधिकारियों ने बड़ी संख्या में सहभाग लिया। मुख्य अतिथि सुश्री अंशुली आर्या ने अपने संबोधन में कहा कि बैंक और वित्तीय संस्थान किसी भी देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग सेवा के माध्यम से आप सरकारी योजनाओं का कार्यान्वयन भी कर रहे हैं। अंशुली आर्या ने कहा कि बैंकिंग में हिन्दी और क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग बहुत आवश्यक है और इससे दूरदराज के ग्राहक भी लाभान्वित होंगे। इस दिशा में बैंक ऑफ महाराष्ट्र और अन्य संस्थाओं द्वारा किए जा रहे प्रयासों की उन्होंने सराहना की। वहीं के. राजेश कुमार, महाप्रबंधक, मानव संसाधन प्रबंधन एवं राजभाषा ने सभी उपस्थितों का स्वागत किया।

सेमिनार में अतिथि वक्ताओं द्वारा महत्वपूर्ण विषयों पर सत्र लिए गए। मंच पर उपस्थित मान्यवरों द्वारा बैंक की गृह पत्रिका “महाबैंक प्रगति” का विमोचन किया गया तथा पत्रिका के ब्रेल संस्करण का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर बैंक के विभिन्न मोबाइल हिन्दी ऐप लॉन्च किए गए। बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा आयोजित अखिल भारतीय हिंदी आलेख प्रतियोगिता के विजेताओं को भी पुरस्कृत किया गया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कार्यपालक निदेशक आशीष पाण्डेय ने कहा कि यह कल्पना करना बहुत रोचक है कि आने वाले समय में बैंकिंग का स्वरूप कैसा होगा और भविष्य की बैंकिंग किस प्रकार की होगी। पारंपरिक शाखा बैंकिंग से लेकर इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और कन्वरशेसनल बैंकिंग तक की यात्रा हमने पूरी की है।

बैंक और संस्थाएं एआई, क्लाउड कंप्यूटिंग और मेटावर्स जैसी नवीनतम तकनीक को अपनाकर बाजार और नई पीढ़ी के ग्राहकों की अपेक्षा के अनुरूप अपने प्रोडक्ट को तैयार कर सकते हैं। आशीष पाण्डेय ने कहा कि दूर-दराज के क्षेत्रों तक अपने विचारों और अपनी योजनाओं को पहुंचाने के लिए हिंदी और क्षेत्रीय भाषाएं सशक्त माध्यम हैं। चित्रा दातार, महाप्रबंधक ने कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत की और हरि शंकर वत्स, अंचल प्रबंधक, दिल्ली अंचल ने सभी के प्रति आभार प्रदर्शन किया।

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