Giridih। मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने रविवार को जैनधर्म के तीर्थराज सम्मेद शिखर मधुबन में 639 करोड़ की लागत से बनने वाले पीरटाड़ मेगा सिंचाई परियोजना की आधारशिला रखी। इसके जरिए नक्सल प्रभावित अति पिछड़े प्रखण्ड पीरटांड़ के 17 पंचायतों के 165 गांवों के लाखों किसानों के खेतों में पाईप लाईन के जरिये सिंचाई की जायेगी। इसके अलावा इलाके के 100 से अधिक तालाबों में भी पाईप लाईन के जरिये ही सालों भर पानी लबालब भरा रहेगा, जिससे इलाके के लोग मत्स्य पालन भी कर सकेंगे।
कार्यक्रम को संबोधित करने हुए मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार झारखंड को विकसित प्रदेश बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास कर रही है। यहां के आदिवासी-मूलवासी को रोटी, कपड़ा, मकान के अलावा शिक्षा-स्वास्थ्य एवं खेतों में सिंचाई की सुविधा को लेकर काम कर रही है। इसी कड़ी में आज 639 करोड़ की लागत से बनने वाली आधुनिक मेगा सिंचाई योजना का शिलान्यास किया गया है। इसके पूरे होने से इस पिछड़े क्षेत्र के लाखों किसानों के खेतों को सालों भर पानी मिलेगा, जिससे किसान तीन बार खेती कर सकेंगे।
भाजपा पर तंज कसते हुए सोरेन ने कहा कि डबल इंजन की सरकार ने पीरटाड़ जैसे पिछड़े इलाकों पर कभी ध्यान नहीं दिया। महज लुभावने वादे कर राज्य की जनता को बरगलाने का काम किया। सीएम ने राज्य के लोगो का आह्वान किया कि आने वाले आम चुनावों में भाजपा जैसे बहुरुपिए सियासी दलों के बहकावे में नहीं आना है। यदि भाजपा की गारंटी पर गये तो पछताना पड़ेगा। सीएम सोरेन ने कहा कि इस प्रकार की सिंचाई योजना से क्षेत्र की सामाजिक, आर्थिक व्यवस्था मजबूत होगी और पलायन रुकेगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन जैन समुदाय के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल सम्मेद शिखर हेलिकॉप्टर से पहुंचे। उनके साथ मंत्री बसंत सोरेन के मधुबन पहुंचने पर सदर विधायक सुदिव्य कुमार सोनू, जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी, उपायुक्त नमन प्रियेश लकड़ा, एसपी दीपक कुमार शर्मा सहित अन्य ने स्वागत किया। सीआरपीएफ कैम्प में गिरिडीह पुलिस ने मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
मधुबन पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री ने सबसे पहले पारसनाथ पहाड़ की तलहटी से करीब एक किलोमीटर ऊपर आदिवासी समुदाय के सर्वोच्च पूजा स्थल मरांगबुरू मांझी थान में पूजा-अर्चना की। इस दौरान सीएम ने मांझी हड़ाम को सम्मानित भी किया। पूजा स्थल पर पुजारी सुधीर बाश्के, दिशोम मांझी थान के अध्यक्ष सह मुखिया महावीर मुर्मू और मांझी थान के सदस्य सिकंदर हेंब्रम समेत आदिवासी समुदाय के कई लोग मौजूद थे।