हरदोई। गजब का संयोग है कि नवरात्रि और माह-ए-रमजान एक साथ शुरू हो रहे हैं। मौसम के भीषण तपन में हिंदू-मुस्लिम दोनों ही पूरे दिन भूख-प्यास सहने की तपस्या करेंगे। कोई व्रत रखेगा तो कोई रोजा। मंदिर-मस्जिद दोनों ही गुलजार होंगे। एक तरफ जहां तड़के मंदिरों से देवी गीत गूंजेंगे तो दूसरी तरफ मस्जिदों से सहरी की सदाएं आएंगी। दोनों ही धर्म-मजहब के अनुयायी तैयार हैं।
बड़ी संख्या में तड़के से देर रात तक भक्तों से मंदिर गुलजार रहेंगे। उधर, मुस्लिमों का सबसे पाकीजा माह रमजान भी शुरू हो रहा है। तड़के से सूर्यास्त तक लगभग साढ़े 14 घंटे मुस्लिम अनुयायी रोजा रखेंगे। घरों में इफ्तार के विशेष व्यंजन पकेंगे। रात में तरावीह की विशेष नमाज होगी। तड़के चार बजे के आसपास सहरी करेंगे। मस्जिदों को विशेष रूप से संवारा गया है। घरों में भी इफ्तार, तिलावत, इबादत आदि की तैयारियां हैं।
मुस्लिम समुदाय रमजान के महीने को पवित्र मानता है। इस महीने की शुरुआत चांद देखने के बाद से होती है। रमजान का महीना कभी 29 दिन का तो कभी 30 दिन का होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजा रखते हैं। अरबी शब्दकोश में उपवास को सौम कहा जाता है, इसलिए इस मास को अरबी में माह-ए-सियाम भी कहते हैं। फारसी में उपवास को रोजा कहते हैं। रोजा शुरू होने से पहले सुबह कुछ खाया जाता है जिसे सहरी कहते हैं। इसके बाद शाम को सूर्यास्त के बाद रोजा खोल कर खाते हैं जिसे इफ़्तारी कहते हैं।
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार रमजान के महीने में अल्लाह से पैगंबर मोहम्मद साहब को कुरान की आयतें मिली थीं। इसलिए ये महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। शआबान कभी 28, कभी 29 तो कभी 30 दिन का भी होता है। अगर शआबान का महीना 29 दिनों का है तो रमजान 23 मार्च से शुरू होगा। यानी अगर भारत में 22 मार्च को चांद दिखाई देता है तो 23 मार्च से रमजान माह की शुरुआत मानी जाएगी। अगर 22 मार्च को चांद नहीं दिखा तो 30 दिनों के महीने देखते हुए रमजान माह 24 मार्च से शुरू हो जाएगा।