बच्चों के मन मे संस्कार सृजित करते हैं सांस्कृतिक कार्यक्रम – समजीत जाना

रांची : विद्यार्थियों को अपने समाज और देश की संस्कृति से अवगत कराने और भावी जीवन के लिए सामाजिकता की भावना भरने के उद्देश्य से जवाहर विद्या मंदिर श्यामली रांची के दयानंद प्रेक्षागृह में वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव ‘आगाज़-2023’ का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राँची के वाईस चांसलर प्रो० (डॉ०) तपन कुमार शांडिल्य प्राचार्य समरजीत जाना विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष एवं विशिष्ठ मुख्य अतिथि संजय कुमार सिन्हा , डीएवी कपिलदेव के प्राचार्य एम० के० सिन्हा, फिरायालाल पब्लिक स्कूल के प्राचार्य नीरज कुमार सिन्हा, टॉरियन वर्ल्ड स्कूल के प्राचार्य सुभाष कुमार के सामूहिक कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। कार्यक्रम में कक्षा छठी से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं द्वारा राम कथा के माध्यम से श्रीराम के अयोध्या लौटने व राज्याभिषेक के मार्मिक झाँकी तथा पारंपरिक छठ पर्व पर आधारित राजा प्रियव्रत के पुत्र प्राप्ति पर आधारित लघुनाटिका के मंचन ने वातावरण को भक्तिमय कर दिया वहीं गणेश वंदना, बांग्ला लोक नृत्य और भांगड़ा डांस ने दर्शकों को जोश और उत्साह से लबरेज कर दिया। भारत के उत्सवों की श्रृंखला को माइम एक्ट की सुंदर तथा भावमयी प्रस्तुति द्वारा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को परिलक्षित किया गया।

प्राचार्य समरजीत जाना ने ‘आगाज़-2023’ के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए इसे कार्तिक महीने में उत्सवों की शुरुआत, भारतीय परम्परा की विविधता, एकता, उत्साह एवं समर्पण की स्वर्णिम झलक बताया। उन्होंने बताया कि छठी से आठवीं तक के बच्चों के लिए अपनी कला प्रदर्शित करने का यह पहला अवसर है इसलिए इसका नाम रखा गया – आगाज़ । इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों के मन में संस्कार सृजन कर चरित्र निर्माण करते हैं। इससे कला और सांस्कृतिक से जुड़े बुनियादी परम्परागत, सौन्दर्यपरक मूल्य और अवधारणा को जीवंत रखा जा सकता है। इस माध्यम से बच्चों को आगे बढ़ने का मंच और अपना कौशल दिखाने का अवसर भी प्राप्त होता है। मुख्य अतिथि प्रो० (डॉ०) तपन शांडिल्य ने कहा कि शिक्षा समाज की आधारशिला है। इस क्षेत्र में जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली अपने मूल्यात्मक एवं गुणात्मक शिक्षण से उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय परंपरा, विरासत, संस्कृति को जानने, पहचानने एवं इसे अक्षुण्ण रखने का पाठ्यक्रम ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति है।

भारत विश्वगुरु क्यों था, इसे सोने की चिड़िया क्यों कहा जाता था और भविष्य में कैसे विश्वगुरु बन सकता है यह मूल्यपरक शिक्षा से ही संभव है। स्वस्थ और समृद्ध समाज की स्थापना के लिए विद्यालय स्तर से ही बालकों को सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने और अपने समाज, देश की भौगोलिक और सांस्कृतिक विविधताओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि लोग सफलता का पैमाना इंजीनियरिंग और मेडिकल की परीक्षा में सफल होने से आंकते हैं और बच्चों की क्रिएटिविटी पर अंकुश लगा देते हैं। सफल वही है जो खुश रहता है और खुश रहने के लिए क्रिएटिविटी की ज़रूरत होती है। विद्यालय में इस प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम से छात्रों में रचनात्मकता, सृजनशीलता, नवाचार और नई सोच का सृजन होता है।

कार्यक्रम में उप प्राचार्य बी०एन० झा संजय कुमार ने सभी गणमान्य, मीडियाकर्मियों, अभिभावकों एवं छात्रों को दीपावली, भैया दूज, गोवर्धन पूजा, छठ पूजा, काली पूजा आदि की शुभकामनाएँ देते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया। इस भव्य समारोह में उप प्राचार्य एस०के० झा बी०एन० झा, संजय कुमार, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष अमित रॉय, ट्रेंनिग नोडल अधिकारी एल०एन० पटनायक, प्रभाग प्रभारी अनुपमा श्रीवास्तव, शीलेश्वर झा ‘सुशील’ दीपक कुमार सिन्हा, विद्यालय कार्यक्रम समन्वयिका सुष्मिता मिश्रा, वरीय शिक्षक डॉ० मोती प्रसाद एवं समस्त विद्यालय परिवार उपस्थित था।

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