बिना काम किए ही करोड़ों गबन किए वनविभाग के अधिकारी

मुंबई। पालघर जिले में वन विभाग के काम में 78 करोड़ 17 लाख का घोटाला सामने आया है। पालघर के जव्हार थाने में धारा 420 सहित विभिन्न अपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरटीआई

कार्यकर्ता इमरान पठान ने सूचना के अधिकार में घोटाले का खुलासा किया। जिसमें यह पता चला है कि एक ही विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने जव्हार सामाजिक वनीकरण विभाग के अंतर्गत आने वाले जव्हार, वाडा, मोखाड़ा तालुकों में बिना कोई काम किए 78 करोड़ से ज्यादा रुपये हड़प लिए हैं। 2016 से 2018 की अवधि के दौरान, यह सामने आया है कि तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों ने रुपये का घोटाला किया था। आरोप है, कि घोटाले में शामिल अधिकारियों ने डीडी के माध्यम से पैसे वापस ले लिए थे। मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच पालघर पुलिस की वित्तीय अपराध शाखा को सौंपी गई है।वर्तमान सहायक वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद वन विभाग के 10 पूर्व अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है। फिलहाल इस मामले में मामला दर्ज कर लिया गया है और हालांकि अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।

वर्ष 2014 में, ठाणे जिले को विभाजित किया गया था और पालघर जिले को आदिवासियों के विकास और उत्थान के लिए बनाया गया था। लेकिन सभी विभागों में सरकारी योजनाओं में वित्तीय हेराफेरी के कारण जनजातीय क्षेत्रों में आदिवासियों का विकास कोसों दूर रह गया है। ऐसे में यहां सरकार की विकास योजनाएं पूरी तरह विफल साबित हो रही हैं। अब जव्हार, वाडा और मोखाड़ा आदिवासी तालुकों में बिना काम किए ही 78 करोड़ के घोटाले से एक बार फिर पालघर सुर्खियों में है।

आदिवासी विकास विभाग की वाटरशेड विकास योजना के तहत, सामाजिक वनीकरण विभाग, ठाणे ने तीन तालुकों में जल और मिट्टी के संरक्षण, पत्थर के बांधों के निर्माण और खुदाई के लिए 61.22 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया था। इसी तरह आदिवासी विकास विभाग नासिक कार्यालय के माध्यम से इन क्षेत्रों में पत्थर के तटबंध निर्माण और खुदाई सहित अन्य कार्यों के लिए 14.95 करोड़ रुपये की अलग से राशि स्वीकृत की गई थी।

2015-16, 2016-17 और 2017-18 की तीन साल की अवधि के दौरान, 74 गांवों में 899 कार्य पूरे दिखाकर अधिकारियों ने

78.17 करोड़ रुपये का भुगतान करवा करवा लिया। कुछ नागरिकों द्वारा इस मामले में शिकायत दर्ज कराने के बाद, पांच टीमों को नियुक्त किया गया और जांच की गई और यह पाया गया कि कोई भी काम नहीं किया गया था। यह भी पाया गया है कि इन सभी कार्यों के लिए भुगतान जमा करते समय झूठे साक्ष्य संलग्न किए गए हैं। इसके बाद सामाजिक वनीकरण विभाग के एक अधिकारी ने इस संबंध में जव्हार थाने में शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद

सामाजिक वनीकरण विभाग के तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक, वन संरक्षक, संभागीय वन अधिकारी, वृक्षारोपण अधिकारी, वनपाल, वन कोतवाल सहित दस लोगो पर मामला दर्ज किया गया। मामले की जांच को वित्तीय अपराध शाखा को सौंपा गया है।। पालघर पुलिस के प्रवक्ता सचिन नवाडकर ने बताया कि इस मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। 4 आरोपी कोर्ट में अंतरिम जमानत के लिए गए है।

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