New Delhi। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि राष्ट्रमंडल खेलों (सीडब्ल्यूजी) ने व्यवस्था में निराशा की भावना पैदा की जबकि जी20 ने देश को बड़ी चीजों के प्रति आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि एक सुव्यवस्थित कार्यक्रम के दूरगामी लाभ होते हैं। प्रधानमंत्री ने आज भारत मंडपम में टीम जी20 के साथ बातचीत की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने जी20 के सफल आयोजन के लिए मिल रही प्रशंसा को रेखांकित किया और इस सफलता का श्रेय जमीनी स्तर के पदाधिकारियों को दिया। विस्तृत योजना और कार्यान्वयन प्रक्रिया का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने पदाधिकारियों से अपने अनुभवों और सीखों का दस्तावेजीकरण करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार तैयार किया गया दस्तावेज़ भविष्य की घटनाओं के लिए उपयोगी दिशानिर्देश तैयार कर सकता है।
प्रधानमंत्री ने पदाधिकारियों से अनौपचारिक रूप से बैठने और अपने-अपने विभागों में अनुभव साझा करने को कहा। उन्होंने कहा कि एक बार जब हम दूसरों के प्रयासों को जान लेते हैं तो वह हमें बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। प्रधानमंत्री मोदी ने आज के आयोजन को मजदूरों की एकता को समर्पित करते हुए कहा कि वह स्वयं भी एक मजदूर हैं। उन्होंने कहा, “आज का कार्यक्रम मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप थोड़ा छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।”
प्रधानमंत्री ने सफलता का मंत्र देते हुए कहा कि कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है, ये मानकर चलिए, तो सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है। उन्होंने सामूहिकता पर जोर देते हुए कहा कि हम सभी को साथ मिलकर काम करने के अवसर तलाश करने चाहिए। ऐसा करने से माहौल एकदम बदल जाएगा और फिर आपको वो काम नहीं बल्कि एक फेस्टिवल लगेगा।
प्रधानमंत्री ने मानव संसाधन और सीखने के दृष्टिकोण से ऐसे सफल संगठनों के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि जब कोई घटना बस होने के बजाय सही ढंग से होती है, तो यह दूरगामी प्रभाव छोड़ती है। उन्होंने इसे 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रष्टाचार की ओर संकेत करते कहा कि जो देश की ब्रांडिंग के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता था लेकिन इससे न केवल इसमें शामिल लोगों और देश की बदनामी हुई बल्कि शासन तंत्र में भी निराशा की भावना पैदा हुई। दूसरी ओर, जी 20 का संचयी प्रभाव देश की ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने में सफलता के रूप में सामने आया है। उन्होंने कहा, “मैं संपादकीय में प्रशंसा से चिंतित नहीं हूं, लेकिन मेरे लिए असली खुशी इस तथ्य में है कि मेरा देश अब आश्वस्त है कि वह ऐसे किसी भी कार्यक्रम की सर्वोत्तम संभव तरीके से मेजबानी कर सकता है।”
उन्होंने वैश्विक स्तर पर आपदाओं के दौरान बचाव में भारत के महान योगदान का हवाला देते हुए इस बढ़ते आत्मविश्वास के बारे में विस्तार से बताया, जैसे नेपाल में भूकंप, फिजी में चक्रवात, श्रीलंका जहां सामग्री भेजी गई थी, मालदीव में बिजली और पानी का संकट, यमन से निकासी, तुर्की में भूकंप। उन्होंने कहा, यह सब स्थापित करता है कि मानवता के कल्याण के लिए भारत मजबूती से खड़ा है और जरूरत के समय हर जगह पहुंचता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने आज विश्व के अंदर विश्वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्य के साथ खड़ा है, संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।
जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था, इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि पहले तो विपत्तियों में दूसरों की सहायता करने में पश्चिम की ही चर्चा होती थी, विदेशी संकटों में भारत के काम ने दुनिया को उसकी क्षमताओं के बारे में आश्वस्त किया।