भूगर्भ जल में हानिकारक फ्लोराइड मिलने का मामला

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आगरा के ग्रामीण क्षेत्रों के भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा की जांच कर छह हफ्ते में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

कोर्ट ने प्रमुख सचिव नमामि गंगे योजना एवं ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग को हलफनामे के साथ 24 फरवरी को हाजिर होने का निर्देश दिया है। और पूछा है कि फ्लोराइड के उपचार के क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने शहरी क्षेत्रों में पेय जल आपूर्ति में जल से फ्लोराइड के उपचार करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में जल आपूर्ति के लिए कोई उपाय न करने पर नाराजगी जताई है।

कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश पर जमानती वारंट पर पेश हिमांशु कुमार, प्रमुख सचिव ग्रामीण विकास लखनऊ, अमृत अभिजात प्रमुख सचिव शहरी विकास विभाग लखनऊ व लिली सिंह निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा लखनऊ की हाजिरी माफ कर दिया गया और जमानत बंध पत्र उन्मोचित कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने गिरीश चंद्र शर्मा की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

इससे पहले कोई जवाब न देने पर कोर्ट ने तीनों अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर तलब किया था। अधिकारियों ने हाजिर होकर हलफनामा दाखिल किया। अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बताया कि उप्र जल निगम शहरी व ग्रामीण दो भागों में विभक्त कर दिया गया है। दोनों नमामि गंगे व ग्रामीण जल आपूर्ति विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण में है।

शहरी क्षेत्रों में ओवर हेड टैंक व ट्यूबवेल से सीधे जल आपूर्ति की जा रही है। फ्लोराइड से बचाव के उपाय किए गए हैं। पांच हजार लीटर की क्षमता की आर ओ मशीन लगाई गई है। अच्छेंद्र नगर व फतेहाबाद नगर के भूगर्भ जल में फ्लोराइड की मात्रा अधिक है। किंतु ग्रामीण क्षेत्र की जल आपूर्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। जिसे कोर्ट ने सराहनीय नहीं माना और प्रमुख सचिव नमामि गंगे को तलब किया है। याचिका की सुनवाई 24 फरवरी को होगी।

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