लखनऊ। लखनपुरी में इस साल दो दिन होली मनाई जाएगी। शहर के चैक और उसके आसपास के क्षेत्रों में छह मार्च को होलिका दहन होगा और दूसरे दिन सात मार्च को रंग खेला जाएगा। वहीं अमीनाबाद और इससे जुड़े इलाकों में सात मार्च को होली जलाई जाएगी और आठ मार्च को रंग खेला जाएगा। हिन्दू पंचागों में भी होलिका दहन को अलग-अलग तारीखों में बताया गया है। ऐसा भद्रा के कारण हो रहा है। माना जाता है कि भद्रा में शुभ कार्य नहीं होते हैं।
ठाकुर प्रसाद के रूपेश पंचांग के अनुसार होलिका दहन सोमवार, छह मार्च को किया जाएगा। इसके बाद दूसरे दिन सात मार्च को छोड़कर आठ मार्च को रंग खेलने को बताया गया है। इसी दिन बसंतोत्सव मनाया जाएगा। वहीं चिंता हरण जंत्री में सात मार्च को होलिका दहन बताया गया है और इसके दूसरे दिन आठ मार्च को रंग खेलना दिखाया गया है। इसी दिन होलाष्टक समाप्त हो जाएगा। चिंता हरण पंचांग में भद्रा को शाम चार बजकर 17 मिनट से शुरू होकर दूसरे दिन सुबह पांच बजकर 29 मिनट तक बताई गई।
लखनपुरी के चैपटिया के रहने वाले बुर्जुग पंडित मंगलू पाधा और प्रसिद्ध श्रीकोनेश्वर महादेव मंदिर के वरिष्ठ आचाय्र्र गुड्डू पंडित दोनों ने बताया कि यहां छह तारीख को भ्रदा के बाद रात को होलिका दहन किया जा सकता है। होलिका दहन का समय रात 12 बजकर 23 मिनट से लेकर रात एक बजकर 35 मिनट के बीच है। दोनों प्रतिष्ठित कर्मकाण्डी पंडितों ने बताया कि लखनपुरी की अभी तक यह परम्परा रही है कि होलिका दहन के बाद ही रंग खेला जाता रहा है।
वहीं उ.प्र. संस्कृत संस्थान के पूर्व कर्मकाण्ड प्रशिक्षक रहे पं. अनिल कुमार पाण्डेय ने भी बताया कि वैसे तो छह फरवरी को रात 4ः30 बजे होलिका दहन किया जाना चाहिए लेकिन इतनी देर नहीं रूक सकते हैं तो रात 12ः30 बजे के बाद होलिका को जला सकते है और दूसरे दिन रंग खेला जाएगा।
होलिकोत्सव समिति, चैक के संयोजक अन्नू मिश्रा बताते हैं कि यहां छह मार्च को होलिका दहन होगा और दूसरे दिन सात तारीख को रंग खेला जाएगा और परम्परागत होली का जुलूस निकाला जाएगा। इसी क्षेत्र में चैपटियां मे शुभ संस्कार समिति की ओर से उठने वाला जुलूस भी सात मार्च को ही निकाला जाएगा। छह मार्च को होलिका दहन होगा।
वही अमीनाद की होली महोत्सव समिति के उपाध्यक्ष शैलेंद्र चैधरी ने बताया कि यहां सात मार्च को होलिका दहन होगा और दूसरे दिन आठ मार्च को रंगोत्सव मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि ऐसा ही कैसरबाग, गणेशगंज, नाका, लाटूश रोड, गुईन रोड और निशातगंज सहित इधर के कई इलाकों होगा।
जाने भद्रा क्या है?
पं. अनिल कुमार पाण्डेय के अनुसार तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है। पंचांग के पांच अंगों में एक अंग करण भी है। करण के कई प्रकार के होते हैं। उसमें एक करण भद्रा भी होता है। ज्योतिष मान्यता के अनुसार भद्रा करण की उपस्थित में कोई भी शुभ काम नहीं किया जा सकता है।