स्टेम सेल थेरेपी से हड्डीयों और जोड़ो की बीमारियों का इलाज करना आसान: डॉ विवेक कुमार डेविड

स्टेम सेल थेरेपी से हड्डीयों और जोड़ो की बीमारियों का इलाज करना आसान: डॉ विवेक कुमार डेविड

Ranchi : पारस हॉस्पिटल धुर्वा के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ विवेक डेविड ने स्टेम सेल थेरेपी के लाभ के बारे बताते हुए कहा कि स्टेम सेल थेरेपी से उन लोगों को भी लाभ हो सकता है, जिन्हें कूल्हे का अवास्कुलर नेक्रोसिस, कार्टिलेज का घिसाव, और फैक्चर का न जुड़ना जैसी स्थितियां हैं। स्टेम कोशिकाओं का अध्ययन अवास्कुलर नेक्रोसिस, ऑस्टियोआर्थराइटिस, स्पोर्ट्स ईन्जुरी और अन्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जा रहा है। स्टेम सेल, शरीर की एकमात्र ऐसी कोशिकाएं हैं जो रक्त, हड्डी और मांसपेशियों जैसी विभिन्न तरह की कोशिकाएं बना सकती हैं। ये क्षतिग्रस्त टिशू की रिपेयर भी करती हैं। स्टेम कोशिकाएं विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में विकसित हो सकती हैं, जो क्षतिग्रस्त टिशू की मरम्मत में मदद करती हैं। स्टेम सेल थेरेपी को पुनर्योजी चिकित्सा भी कहा जाता है।

डॉ. कुमार ने कहा कि स्टेम सेल थेरेपी कई प्रक्रियाएं पारंपरिक सर्जरी की तुलना में कम आक्रामक होती हैं, जिससे रिकवरी का समय कम होता है और जटिलताएं भी कम होती हैं। मरीजों को अक्सर दर्द में कमी का अनुभव होता है, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। इसकी मदद से बड़ी सर्जरी से बचा जा सकता है। रोगी की स्वयं की स्टेम कोशिकाओं का उपयोग करने से अस्वीकृति के जोखिम कम हो जाते हैं, जिससे इलाज का प्रभाव तेजी से बढ़ता है।

स्टेम सेल थेरेपी विभिन्न स्थितियों में स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए आशाजनक लाभ प्रदान करती है। स्टेम सेल थेरेपी से समस्या के मूल कारण को प्राकृतिक रूप से ठीक करने में मदद मिलती है। ये क्षतिग्रस्त टिशु को रिपेयर भी करती है।

यह प्रक्रिया,में मरीज के अपने शरीर से स्टेम सेल (ऑस्टियोब्लास्ट) को निकाला जाता है और उन्हें प्रभावित हिप जोड़ में इम्प्लांट किया जाता है। इस दृष्टिकोण का उद्देश्य क्षतिग्रस्त हड्डी के ऊतकों को पुनर्जीवित करना और सामान्य कार्यक्षमता को बहाल करना है, जिससे हिप प्रतिस्थापन सर्जरी की आवश्यकता को देरी या टाला जा सके। पारस हॉस्पिटल के मार्केटिंग हेड मानस लाभ ने कहा कि पारस हॉस्पिटल धुर्वा में स्टेम सेल थेरेपी की सुविधा प्रारंभ हो चुकी है। इसका लाभ मरीज उठा रहे हैं।

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