वासंतिक नवरात्र नौ अप्रैल से, घोड़े पर सवार होकर आ रहीं मां दुर्गा

Ranchi। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का खास महत्व है। चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा की अलग-अलग रूपों में उपासना की जाती है। चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है, जो मंगलवार से शुरू हो रही है। इसका समापन 17 अप्रैल को रामनवमी के साथ होगा। चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हो जायेगा। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर आती हैं। उनका आगमन विशेष वाहनों से होता है। इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं क्योंकि नवरात्रि मंगलवार से प्रारंभ हो रही है।

वैदिक पंचांग के अनुसार, प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 8 अप्रैल रात को 11 बजकर 50 मिनट होगी, जो मंगलवार रात 8 बजकर 30 मिनट पर समाप्त होगी। हिंदू धर्म उदया तिथि को मानते हैं, इसलिए चैत्र नवरात्रि नौ अप्रैल शुरू हो रही है। नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को अखंड ज्योति और कलश स्थापना के साथ होती है। पवित्र कलश की स्थापना के बाद ही देवी की उपासना की जाती है। अभिजीत मुहूर्त में घटस्थापना करना शुभ माना जाता है। यह 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा।

नौ अप्रैल से वासंतिक नवरात्र की शुरुआत हो रही है। नवरात्र के बीच चैती छठ का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जायेगा। 12 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ ये पर्व शुरू होगा। 17 अप्रैल को धूमधाम से रामनवमी मनाया जाएगा।

प्रथम दिन चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा नौ अप्रैल को है। इस दिन श्री ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी। इसलिए इन दिन को सनातनधर्मी महाउत्सव के रूप में मानते हैं। इस दिन ही जो वार पड़ता है, उसी को इस वर्ष का राजा मानते हैं। इस वर्ष प्रतिपदा मंगलवार को होने से राजा मंगल होंगे। नौ अप्रैल को कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्रि का अनुष्ठान भी शुरू होगा। चैत्र नवरात्र में भगवती के साथ गौरी का भी दर्शन-पूजन प्रतिदिन क्रमानुसार किया जायेगा। इसी नवरात्र के बीच चैती छठ का पर्व 14 अप्रैल को मनाया जायेगा। छठ पर्व 12 अप्रैल को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा।

महाअष्टमी का व्रत 16 अप्रैल को होगा। घर-घर की जाने वाली नवमी की पूजा भी 16 अप्रैल को ही की जायेगी। इसे भवानी उत्पत्ति के साथ बसियाउरा के रूप में भी मानते हैं। महानवमी का व्रत 17 अप्रैल बुधवार को होगा। रामनवमी का पर्व 17 अप्रैल को मनाया जायेगा।

पंडित रामदेव पाण्डेय ने बताया कि नवरात्र व्रत के समाप्ति के साथ समाप्ति से संबंधित पूजन-हवन नवमी तिथि पर्यंत 17 अप्रैल बुधवार को शाम 5:22 तक किया जायेगा। पूर्ण नवरात्रि अनुष्ठान व्रत की पारण दशमी तिथि में 18 अप्रैल को है।

  • वासंतिक नवरात्र के कार्यक्रम
  • कलश स्थापना-09 अप्रैल
  • मेष संक्रांति, सतुआन-13 अप्रैल
  • चैती छठ नहाय-खाय-12 अप्रैल
  • छठ का खरना-13 अप्रैल
  • संध्या कालीन अर्घ्य-14 अप्रैल
  • प्रातः कालीन सूर्य अर्घ्य- 15 अप्रैल को
  • महाअष्टमी व्रत-16 अप्रैल
  • महानवमी व्रत-17 अप्रैल
  • दशमी व व्रत पारण-18 अप्रैल
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