Ranchi। कृषि निदेशक डॉ. कुमार ताराचंद ने कहा है कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय एक आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त बीज परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना के लिए शीघ्र प्रस्ताव लाए, राज्य सरकार इसके लिए पर्याप्त राशि मुहैया कराएगी। बीज क्रय, वितरण एवं बोआई के पूर्व इस प्रयोगशाला में बीज गुणवत्ता की जांच होने से फसल नुकसान की संभावना न्यूनतम रहेगी। कृषि महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में बीएयू की बीज परिषद की वार्षिक बैठक को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड की 80 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है तथा राज्य की दो तिहाई आबादी कृषि कार्यों पर निर्भर है इसलिए राज्य के लिए कृषि से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है।
उन्होंने बीएयू में देश के अग्रणी बीज कंपनियों का एक सम्मेलन आयोजित करने पर बल दिया ताकि राज्य और केंद्र की विभिन्न योजनाओं के तहत निशुल्क और सब्सिडी पर वितरित किए जाने हेतु गुणवत्तायुक्त बीज की यथासमय उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। बीएयू को आसपास के राज्यों के लिए अनुशंसित फसल प्रभेदों की उपयुक्तता का अपने यहां परीक्षण कर हर 6-8 महीने पर राज्य सरकार को अनुशंसा उपलब्ध करानी चाहिए। अलग राज्य बनने के 24 वर्षों बाद भी झारखंड अपनी खाद्यान्न आवश्यकताओं के मामले में आत्मनिर्भर नहीं हो पाया है। राज्य में अवस्थित आईसीएआर के संस्थान, बीएयू, राज्य सरकार, तथा यहाँ कार्यरत अग्रणी स्वयंसेवी संगठन बेहतर तालमेल और समन्वय से कार्य करेंगे तभी झारखंड में कृषि और किसानों के परिदृश्य में अपेक्षित बदलाव हो पाएगा।
बीएयू के कुलपति ने कहा कि राज्य में एक सुदृढ़ बीज नीति लागू करने की आवश्यकता है जिसमें उत्पादन से लेकर विपणन और उठाव तक की रणनीतियां और रोड मैप हो। मौसम परिवर्तन की स्थिति में कई विकल्पों का प्रावधान हो। प्रजनक बीज कहां से आएगा, आधार बीज और प्रमाणित बीज का उत्पादन कौन सी एजेंसियां करेंगी तथा सूखा पड़़ने पर किस जिला में किस फसल के किस प्रभेद का इस्तेमाल होगा, इन सबका प्रावधान बीज नीति में हो। विश्वविद्यालय सीड हेल्थ टेस्टिंग लैब की स्थापना का प्रस्ताव शीघ्र सरकार को समर्पित करेगा। नई रिलीज पॉलिसी के तहत अब केवल स्ट्रेस टोलरेंट और पोषक तत्वों से भरपूर बायो फोर्टिफाइड फसल प्रभेदों को ही रिलीज किया जाएगा।
बीएयू के बीज एवं प्रक्षेत्र निदेशक डॉ शम्भूनाथ कर्मकार ने बताया कि गत वर्ष विभिन्न खरीफ एवं रबी फसलों के कुल 6368 क्विंटल प्रजनक, आधार एवं प्रमाणित/ सत्यापित बीज पैदा किये गये। वर्तमान खरीफ एवं आगामी रबी मौसम में सीड हब का क्षेत्र मिलाकर विभिन्न कैटेगरी और किस्मों के कुल 9312 क्विंटल बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।
इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, हजारीबाग के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ विशाल नाथ, बीएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ पीके सिंह, प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ जगरनाथ उरांव तथा डॉ रवि कुमार ने भी अपने सुझाव रखे। डॉ रामप्रसाद मांझी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। एनजीओ प्रतिनिधि फादर बिपिन पानी तथा एफपीओ प्रतिनिधि अंजली लकड़ा एवं देवी चरण गोप को सम्मानित किया गया।