सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है दर्द ”शराबबंदी एक आफत है”

बेगूसराय। बिहार में पिछले 48 घंटे के दौरान जहरीला शराब पीने से गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार करीब एक सौ लोगों की मौत हो चुकी है। छपरा और सीवान में बेतहाशा हो रही मौत को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने जहां जोरदार एतराज जताया है, वहीं सत्ता पक्ष में भी इसकी चर्चा होने लगी है। जोर-शोर से हो रही चर्चा के बीच शराबबंदी पर लिखा गया एक लेख सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

जिसमें कहा गया है कि शराबबंदी एक आफत है, जो एक अप्रैल 2016 से बिहार में आई है। इस आफत से पियक्कड़ सब हांफत है, हंफनी की बीमारी बढ़ती जा रही है। पियक्कड़ों का कहना कि ई अजबे निर्णय है, गजबे निर्णय है, निर्णय हंगामा मचवाने वाला है, पटका पटकी करवाने वाला है। वास्तव में शराबबंदी ने समाज के एक वर्ग को बुरी तरह प्रभावित किया है। यह समाज बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन प्रभावी है। नशे में हल्ला मचाने के लिए कुख्यात है, इसे पियक्कड़ समाज कहते हैं। जब से शराबबंदी हुई है, तब से यह गम में डूब गया है।

इस समाज के लोग पिटाइल प्रेमी की तरह सुथनी जइसा मुंह बना कर घूम रहे हैं। अकेले में बैठ कर अपनी प्रेमिका शराब को याद कर रहे हैं। गीत गा रहे हैं ”तू जो नहीं है तो कुछ भी नहीं है, ये माना कि महफिल जवां है, हंसी है।” जब से प्रेमिका से दूर हुए हैं, तब से अर्थशास्त्र का ज्ञान जागृत हो गया है। घर, समाज उजाड़ने वाला पुराना डाटा किनारे लगाकर, नया डाटा पेश कर रहे हैं कि तीन लाख से अधिक आदमी सुखले जेल में चल गया, छह हजार दुकानें बंद हो गई। शराब क्षेत्र का रोजगार घट गया, बेरोजगारी बढ़ गई, सालाना चार हजार करोड़ का नुकसान हो रहा है, शराब माफिया मालामाल है, पुलिस दारोगा धन्नालाल है।

दरअसल शराबबंदी शुरू होते ही पियक्कड़ समाज को अपने इमेज की चिंता सताने लगी। इस समाज के विद्वतजन कह हैं कि हर दिन पियक्कड़ प्रतिभा की बेइज्जती हो रही है। कमर में रस्सा बांध के अउर फोटू खिंचवा के पेपर में छपवाया जा रहा है, ई बढ़िया बात नहीं है। पियक्कड़ प्रतिभा के साथ घोर अन्याय है, शादी विआह में दिक्कत हो रही है भाई, रस्सा बंधल फोटो वायरल हो जा रहा है। फोटो देख अगुआ बिदक जा रहा है, गुंजनवा के तिलक में गजबे हो गया, रस्सा बंधल फोटो तिलकहरु सब में बंट गया, बिआह कट गया, लड़की के प्रेमी का चाल सफल हो गया यार।

वास्तव में पियक्कड़ प्रतिभा को पटकने की यह बड़ी साजिश है, एक सोची-समझी चाल है, प्रतिभा कुचलने की चाल, पियक्कड़ जमात को हाशिए पर डालने की चाल है। पियक्कड़ संघ का कहना है कि शराबबंदी के कारण देश कमजोर हो रहा है। कार्य क्षमता घट रही है। पत्रकार, खुशवंत सिंह बनने से वंचित हो रहे हैं, इनके पास लिखने के लिए नया आईडिया नहीं आ रहा है, इनके बॉस भी नया आईडिया दे नहीं पा रहे हैं। दिमाग की बत्ती जलाने के लिए बॉस को रात 11 बजे का इंतजार करना पड़ रहा है, फिर भी पत्रकार वाला भूतवा नहीं जाग रहा है।

शराबबंदी के कारण पार्टियों की इमेज पलटनिया मार रही है। पइसावाली पार्टी को लोग भिखमंगा झूठा पार्टी कह रहे हैं और नेताजी भी जान रहे हैं कि वोट की खरीदारी ठीक से नहीं हो पा रही है। वोटिंग प्रतिशत गिर रहा है, रंगबाजी फीकी पड़ रही है। अगर यही स्थिति रही तो अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। काला धन वाला सूटकेसवा धरले रह जायेगा। दूसरी तरफ साहब संघ का कहना है कि अफसरों की महफिल नहीं जम रही है, इट्स नॉट गुड, साहबी शान नहीं दिखा पा रहे हैं भाई, रात के अंधेरे में दुबक कर पीना पड़ रहा है भाई, नहीं तो हवाई जहाज पकड़कर दिल्ली जाना पड़ रहा है।

कर्मचारी संघ कह रहा है कि जबरदस्ती झारखंड में जाकर काम चलाना पड़ रहा है, संडे वाली छुट्टी जसीडीह जंक्शन पर बीत जा रही है। डॉक्टर्स क्लब का कहना है कि आमदनी घट गई है। अस्पतालों में उल्टी, अनपच, घटना-दुर्घटना के मरीज कम पहुंच रहे हैं, मेडिकल क्षेत्र अब पहले जैसा नहीं रहा। इंजीनियर-ठेकेदार की जोड़ी कह रही है कि अब पहले जैसी पटरी नहीं बैठ रही है। एक-दूसरे को पटाने में परेशानी हो रही है, हां बहुते परेशानी हो रही है, एक बोतल शराब की कीमत आप क्या जानोगे रमेश बाबू।

जब से शराबबंदी हुई है कलाकार संघ भी सदमे में है। दिन-रात बस एक ही गीत गा रहा है ”हम तुम्हें चाहते हैं ऐसे, मरने वाला कोई जिंदगी चाहता है जैसे, आ भी जा आ भी जा। अंत में कहा जा सकता है कि बिहार ज्ञान की भूमि है। बुद्ध, महावीर की भूमि है, जेपी की भूमि है। विद्रोह की भूमि है, कुरीतियों के खिलाफ तन कर खड़े होने वालों की भूमि है, शायद इसीलिए शराबबंदी की गई है। लेकिन शराबबंदी के बहाने संस्कारी पियक्कड़ समाज को हतोत्साहित किया जा रहा है। शराबबंदी ने पियक्कड़ वर्ग को झकझोर कर रख दिया है। पियक्कड़ों पर केंद्रित पार्टियों की पहचान संकट में है, वोटिंग का गणित गड़बड़ा गया है।

नवही लइकन को एंग्री यंग मैन बनने से रोक दिया है। बरात की शान घट रही है, नागिन डांस, अजगर डांस में बदल रहा है। गोली-बंदूक की बिक्री घट रही है। सामियाना में छेद नहीं हो रहा है, चखना का व्यापार मंदी की मार झेल रहा है। दूसरी तरफ कोई राजा राममोहन राय की तरह आगे बढ़ रहा है, विरोध की परवाह नहीं कर रहा है, अर्ध नंगे फकीर के विचारों के साथ चल रहा है। क्योंकि अर्धनंगे फकीर ने भी एक बार कहा था अगर मुझे एक दिन के लिए तानाशाह बना दिया जाए तो एक झटके में देश के सभी शराब दुकानों को बंद करा दूंगा। वहीं पियक्कड़ समाज प्रेमिका शराब की याद में आंसू बहाते हुए गा रहा है ”मुझको ये तेरी याद क्यों आती है, इतना बता मुझको ये क्यों सताती है।”

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