रांची। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों को संरक्षण देकर राष्ट्र की सुरक्षा और संप्रभुता से खिलवाड़ कर रही है। प्रतुल शनिवार को प्रदेश मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
प्रतुल ने कहा कि फॉरेनर्स एक्ट 1946 के सेक्शन 3(2)(e) और 3(2)(c) और पासपोर्ट एक्ट 1920 के अंतर्गत और भारतीय संविधान के आर्टिकल 258 (1) के अंतर्गत राज्य सरकार को आदेश संख्या 590 (F नंबर 4/3/56 – (I),19 अप्रैल 1958 से विदेशी घुसपैठियों को गिरफ्तार करने और बाहर करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दी गई है। इसके बावजूद भी राज्य सरकार इस पूरे मुद्दे पर कुंडली मारकर बैठी हुई है। क्योंकि, इन घुसपैठियों को वह वोट बैंक के रूप में प्रयोग कर रही है।
प्रतुल ने कहा कि घुसपैठियों का फर्जी आधार कार्ड को भी रद्द करने का अधिकार राज्य सरकार के पास गृह मंत्रालय ने 2019 में ही स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बना कर दे दिया था, जिससे यह इन फर्जी आधार कार्ड को रद्द कर सकते हैं। राज्य सरकार केंद्र पर दोषारोपण करती थी लेकिन अब तो यह स्पष्ट है कि आधार कार्ड रद्द करने और इन घुसपैठियों को बाहर करने की जिम्मेदारी पूर्णता राज्य सरकार की है।
प्रतुल ने कहा कि राज्य सरकार पुलिस के कार्यों में और जवाबों में भी हस्तक्षेप कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।प्रतुल ने कहा कि एक तरफ राज्य सरकार के इशारे पर कई जिलों की पुलिस घुसपैठियों के उपस्थिति से न सिर्फ इनकार कर रही है, बल्कि घुसपैठ रोकने के लिए बड़े-बड़े कदम उठाने की बात कर रही है। सूचना अधिकार से प्राप्त जानकारी के अनुसार लोहरदगा जिले के पुलिस अधीक्षक कार्यालय ने घुसपैठियों की संख्या शून्य बताई है जबकि 12 अप्रैल, 2020 को ही स्पेशल ब्रांच ने लोहरदगा दंगों में रोहिंग्या मुसलमान का हाथ बताया था।
इस रिपोर्ट के सार्वजनिक होने की एक दिन के बाद ही खुफिया विभाग के लोहरदगा डीएसपी जितेंद्र कुमार सहित चार डीएसपी का तबादला हो गया था। कुछ ऐसे ही हालात दुमका,जामताड़ा, पाकुड़ और गोड्डा जिला के पुलिस अधीक्षकों के कार्यालय से सूचना के अधिकार के तहत मिले जवाबों से प्राप्त हुई है। दुमका में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या शून्य बताया गया है और घुसपैठ रोकने के बड़े-बड़े कदम उठाने का दावा किया गया है।
जामताड़ा, पाकुड़ और गोड्डा जिलों ने भी ऐसा ही मिलता जुलता जवाब दिया है लेकिन इन जवाबों के बिल्कुल उलट झारखंड के स्पेशल ब्रांच में 02 जून को पत्र लिखकर साफ कहा कि झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रवेश करने की सूचना है। इन घुसपैठियों को पहले मदरसा में ठहराया जाता है। इसके पश्चात उनका सरकारी दस्तावेज तैयार किया जाता है और नाम मतदाता सूची में डाला जाता है। फिर साजिश के तहत इन्हें बसाया जाता है, जिससे राज्य की आर्थिक व्यवस्था पर खतरा बना रहता है।