इस्लामाबाद। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में व्यवस्था बनाए रखने और परेशानी से बाहर निकलने के लिए शहबाज शरीफ सरकार को खासी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। कर्ज देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की कड़ी शर्त पर शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि यह हालात सरकार के लिए बेहद कठिन है। उन्होंने कहा कि मजबूरी यह है कि हमें आईएमएफ की शर्तें माननी होंगी।
प्रधानमंत्री शरीफ ने आईएमएफ की कड़ी शर्तों के बारे में नहीं बताया है। आईएमएफ सात अरब डॉलर के कर्ज की पहली किस्त के रूप में 1.18 अरब डॉलर की रकम देने से पहले आर्थिक स्थिति की समीक्षा कर रहा है। इसके लिए आईएमएफ के अधिकारियों का दल इन दिनों पाकिस्तान में है।
आईएमएफ के अधिकारी पाकिस्तानी वित्त मंत्री इशाक डार, ऊर्जा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान और उच्च अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं। बातचीत में आईएमएफ अधिकारियों ने बिजली मूल्य में बढ़ोतरी करने के लिए कहा है। साथ ही सरकार और सेना के खर्चों में कमी करने के लिए भी कहा है।
जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान सरकार पेट्रोलियम पदार्थों का मूल्य और बढ़ाने के लिए तैयार है, लेकिन आईएमएफ राजस्व बढ़ाने के लिए कई कदमों की अपेक्षा रखता है। दोनों पक्षों में बैठकों का सिलसिला नौ फरवरी तक जारी रहेगा। आईएमएफ के साथ पाकिस्तान की यह वार्ता तब चल रही है, जब उसके पास महज 3.09 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा बाकी बची है।
बता दें कि पाकिस्तान इस धनराशि से केवल 18 दिन ही आवश्यक वस्तुओं का आयात कर सकता है। पाकिस्तान के पास यह बचत 27 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह के दिन थी। विदेशी मुद्रा का यह भंडार पिछले 10 वर्षों में सबसे कम है।