Patratu : झारखंड के ग्रामीण परिदृश्य में, जहां किसान मेहनत से अपनी आजीविका चलाते हैं, वहां जानकारी सबसे बहुमूल्य फसल साबित हो सकती है। इसी सोच के साथ, पीवीयूएन लिमिटेड ने आज गेगड़ा गांव में किसानों के लिए एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। यह पहल किसानों की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई थी। बीते कुछ हफ्तों में, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के कृषि (ऑनर्स) के अंतिम वर्ष के छात्रों ने पीवीयूएनएल की सामुदायिक विकास टीम के साथ मिलकर एक व्यापक आवश्यकता मूल्यांकन सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया गया कि किसानों को फसल चक्र, आधुनिक सिंचाई तकनीकों, जैविक खेती के तरीकों, तथा जैविक खाद और उर्वरक बनाने की जानकारी नहीं थी। इसके अलावा कई किसान सरकारी सब्सिडी और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजनाओं से अनजान थे।
गेगड़ा के खेत एक जीवंत कक्षा में बदल गए। युवा और बुजुर्ग किसान, पुरुष और महिलाएं, सभी उत्सुकता और उम्मीद के साथ एकत्र हुए। कृषि प्रशिक्षुओं, स्थानीय कृषि मित्रों और पीवीयूएनएल के कर्मचारियों ने उन्हें सरल और प्रभावी सिंचाई तकनीकों से अवगत कराया, जिससे जल संसाधनों का बेहतर उपयोग हो सके। जैविक खेती पर आयोजित सत्रों ने किसानों को स्थायी कृषि विधियों की जानकारी दी, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता घटे।
पीवीयूएनएल ने किसानों को विभिन्न सरकारी योजनाओं पर विस्तृत जानकारी देने के लिए सूचनात्मक पुस्तिकाएं भी वितरित कीं, जिनमें योजनाओं का लाभ उठाने की प्रक्रिया को सरल भाषा में समझाया गया था। यह पहल न केवल किसानों को तकनीकी ज्ञान से सशक्त बना रही है, बल्कि समुदाय और पीवीयूएनएल के बीच सहयोग और विश्वास को भी मजबूत कर रही है। कार्यक्रम के समापन के साथ, किसान नई आशाओं और बेहतर कृषि तकनीकों की जानकारी के साथ अपने घर लौटे। यह पीवीयूएनएल के उस संकल्प को फिर से सिद्ध करता है—जब लोग पीवीयूएनएल तक नहीं आ सकते, तो पीवीयूएनएल खुद लोगों तक पहुंचेगा।