श्रीमद्भागवत कथा श्रवण मात्र से पाप पुण्य में बदल जाते हैं : रामभद्राचार्य महाराज

मुरादाबाद। दिल्ली रोड बुद्धि विहार व्हाईट हाऊस में आयोजित हो रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव के सातवें दिन पदम विभूषण श्री चित्रकूट तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज ने सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा में आपने जो भी सुना है उसे अपने जीवन उतारें। आत्मा को जन्म व मृत्यु के बंधन से मुक्त कराने के लिए भक्ति मार्ग से जुड़कर सत्कर्म करना होगा। सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन सोमवार को पूर्ण आहुति बह्मभोज के साथ हुआ।

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य महाराज ने सुनाया कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता हैं और व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं।

महाराज श्री ने सुनाया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने महाराज ने श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा, हे नाथ नारायण, पितु मात स्वामी, सखा हमारे, हे नाथ नारायण वासुदेवा,हे नाथ नारायण, श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी… गोविंद मेरो है गोपाल मेरो हैं, श्री बनके बिहारी नंदलाल मेरो हैं, गोविंद मेरो है गोपाल मेरो हैं…आदि भजनों की प्रस्तुति दीं।

पूजन पंडित केशवराव पुखरियाल व पंडित राजीव शुक्ला ने सम्पन्न कराया। मुख्य यजमान ज्ञानेंद्र देव शर्मा व मनुस्मृति शर्मा रहे। चरण पादुका व्यवस्था श्री कल्याणी दरबार के सौजन्य से रहीं।

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