सरस्वती शिशु विद्या मंदिर ने युवा वैज्ञानिक के माता-पिता को किया सम्मानित

युवा वैज्ञानिक के माता-पिता को किया सम्मानित

रांची। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, धुर्वा के केशव सभागार में शुक्रवार को चन्द्रयान-3 के मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पुरातन छात्र भैया निलेश कुमार झा के माता-पिता को सम्मानित किया।

बताया जाता है कि निलेश ने सालिड प्रोपलेंट फ्यूल तैयार करने वाली इसरो की टीम में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। इनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, धुर्वा में हुई। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि निलेश के पिता अनिल झा एवं माता संयुक्ता झा थे। विद्यालय के मंत्री अखिलेश्वर नाथ मिश्र ने अनिल झा को अंगवस्त्र एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया। संयुक्ता झा को विद्यालय की प्राचार्य डाॅ. संध्या सिंह ने अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया।

विद्यालय के मंत्री अखिलेश्वर नाथ मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यालय के लिए यह गर्व की बात है कि एक साधारण परिवार में पले-बढे, इस विद्यालय से शिक्षा प्राप्त किये भैया ने चन्द्रयान मिशन में एक महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने निलेश को राष्ट्रभक्त, संस्कारयुक्त एवं सद्चरित्र व्यक्ति बताया। साथ ही अन्य को उनसे प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित किया।

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कार्यक्रम के मुख्य अतिथि युवा वैज्ञानिक निलेश के पिता अनिल झा ने कहा कि मैं इस बात पर अत्यंत गौरवान्वित महसूस करता हूं कि मेरे पुत्र ने सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, धुर्वा में शिक्षा पाई है। इस विद्यालय में संस्कारयुक्त शिक्षा दी जाती है, जिसका प्रयोग दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों के अतिरिक्त अपने कार्यक्षेत्रों में भी होता है और जो सफलता का मार्ग प्रशस्त करने में सदा सहायक सिद्ध होता है। निलेश की माता संयुक्ता झा ने अपने उद्बोधन में कहा कि सरस्वती शिशु विद्या मंदिर केवल एक विद्यालय नहीं अपितु शिक्षा का मंदिर है। यहां शिक्षक गुरु की भूमिका में रहते हैं, जो अपनी व्यक्तित्व एवं आचरण से भैया-बहनों के मानस पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ते हैं।

निलेश कुमार झा ने गुगल मीट के जरिए जुड़कर सभी विद्यार्थियों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि आप अपना लक्ष्य बड़ा रखें। बडे़ सपनों देखें। विपरीत परिस्थितियों को अपने ऊपर हावी न होनें दें। परिस्थितियों आपके मार्ग में बाधक नहीं साधक बनें। विद्यार्थी विज्ञान एवं तकनीक क्षेत्र में आगे बढे़ं। उन्होंने वेदों को विज्ञान का आधार बताया। पश्चिमी के विज्ञान एवं तकनीकी को उन्होंने भारतीय ज्ञान-विज्ञान का रीपैकेजिंग करार दिया। श्रीमद्भागवत गीता को उन्होंने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने वाला ग्रंथ बताया।

इस अवसर पर विद्यालय के सहमंत्री डाॅ धनेश्वर महतो, कोषाध्यक्ष एस वेंकट रमण, विजय केशरी, बिनोद कुमार सिंह एवं नर्मदेश्वर मिश्र मौजूद थे।

 

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