जनजाति समाज को मंजूर नहीं होगा सीएनटी में संशोधन का प्रस्ताव : अरुण उरांव

रांची। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व आईपीएस अधिकारी डॉ अरुण उरांव ने हेमंत सरकार पर बड़ा निशाना साधा। डॉ उरांव ने प्रदेश कार्यालय में शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में कहा कि हेमंत सरकार सोची समझी रणनीति के तहत सीएनटी में संशोधन का प्रस्ताव ला रही है। इनकी मंशा आदिवासी समाज के कल्याण की नहीं है। आदिवासी समाज के किसी सामाजिक धार्मिक संगठन ने सीएनटी एक्ट में संशोधन की बात नहीं उठाई है। आनन-फानन में लाया गया प्रस्ताव जनजाति समाज को मंजूर नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने लगातार अपने पद और पावर का दुरुपयोग करते हुए गरीब आदिवासियों की जमीन को अपने और अपने परिवार के नाम करवाया है। रांची, रामगढ़, बोकारो से लेकर दुमका तक शिबू सोरेन परिवार ने जमीन लिए हैं, जो सीएनटी एसपीटी का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने इस अवैध जमीन के नियमितीकरण के लिए टीएसी को हथियार बनाया है।

उन्होंने कहा कि टीएसी को हेमंत सरकार ने राज्यपाल की भूमिका हटाकर पहले ही अपने अधिकार में कर लिया है ताकि अपने हिसाब से निर्णय कराया जा सके। उन्होंने कहा कि चार वर्षों के बाद आज सीएनटी में संशोधन की याद आ रही जबकि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के संशोधन पर जमीन आसमान एक करने वाले यही झामुमो कांग्रेस और राजद के लोग शामिल थे। साथ ही कहा कि हेमंत सरकार यदि परिवर्तन चाहती है तो पहले इस संबंध में समाज के विभिन्न वर्गों के बीच व्यापक विमर्श कराए। सीएनटी मामलों से जुड़े विधि विशेषज्ञों से सलाह ले तभी संशोधन का प्रस्ताव लाए।

उन्होंने कहा कि सीएनटी एक्ट में संशोधन केवल आवास निर्माण के लिए ही दिए जाने तक विचारणीय हो तथा व्यावसायिक उपयोग की छूट नहीं दी जाए। पांच से दस किलोमीटर की सीमा तथा पांच से दस डिसमिल जमीन खरीद का प्रस्ताव ही किया जाना चाहिए।

पत्रकार वार्ता में अनुसूचित जनजाति मोर्चा के बिंदेश्वर उरांव एवं रोशनी खलखो भी मौजूद रहे।

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