टीएसपीसी के एक लाख के इनामी उग्रवादी ने किया सरेंडर

Ranchi । प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) के एक लाख के इनामी उग्रवादी संतोष गंझू ने रांची एसएसपी चंदन सिन्हा के समक्ष शुक्रवार को सरेंडर कर दिया। एसएसपी ने मौके पर उसे एक लाख का चेक दिया। सरेंडर करने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

संतोष गंझू ने राज्य सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर और सीआरपीएफ 133 बटालियन एवं रांची पुलिस के प्रयास से सरेंडर किया। इसके खिलाफ ओरमांझी थाना में सीएलए और आर्म्स एक्ट के दो मामले दर्ज हैं। वह बुढ़मू थाना क्षेत्र के सिरम गांव का रहने वाला है।

संतोष गंझू ने बातचीत में कहा कि वर्ष 2013 में बगल वाले गांव सलया टॉड़ में टीएसपीसी के सब-जोनल कमांडर सागर गंझू उर्फ दलाल गंझू उर्फ ललिन्द्र गंझू गांव ने बैठक की। सागर गंझू ने नौजवानों को संगठन विस्तार एवं दस्ता मजबूत करने के लिए संगठन में जुड़ने के लिए दबाव बना रहे थे। इसी दबाव में आकर वह सागर गंझू के संगठन में शामिल हो गया। संगठन में शामिल होने के बाद संगठन विस्तार के लिए कई गांव का भ्रमण किया।

संगठन विस्तार के कम में ही वर्ष 2015 के मई महीना में ओरमांझी थाना के गंजा के पास रेलवे लाइन बिछाने का कार्य कर रहे मजदूरों पर संगठन के सदस्यों के साथ जाकर लेवी के लिए दबाव बनाने के लिए गोली चलाये। वर्ष 2015 में ही इचादाग, पिस्का, हलवादी और नया टोली में चल रहे केशर के मालिक से लेवी का पैसा वसूलने के लिए संगठन के लोगों के साथ केशर के मुंशी, मजदूर एवं गार्ड को मारपीट किया था।

इस दोनों घटना में सागर जी उर्फ दलाल, मनीष महतो, गोपाल उर्फ निर्भय जी, तारालाल गोप, मनिलाल महतो, उमेश महतो, भोला महतो, किशन गंझू, मुकेश महतो, अमन साहु आदि शामिल थे। इसके बाद तीन वर्ष तक संगठन में रहने के बाद बगल गांव मुरपिरी थाना मुड़मू जिला रांची के रहने वाली सबिता कुमारी से शादी कर राजस्थान चला गया। राजस्थान में झुंझन नामक स्थान पर रेडू (मुर्गा फार्म) में मजदूरी करने लगा।

कई बार अलग-अलग थानों की ओर से घर में कुर्की-जब्ती किया गया, जिसकी सूचना गांव के सामाजिक कार्यकर्ताओं के जरिए मिली। इसके बाद वह पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण का विचार कर ही रहा था कि इसी बीच सीआरपीएफ के अधिकारियों, एसएसपी और रांची के ग्रामीण एसपी के विशेष दूत के माध्यम से सरकार की नई दिशा आत्मसमर्पण नीति के विषय में पता चला। परिवार के सदस्यों एवं गांव के लोगों से विचार-विमर्श के बाद उसने आत्मसमर्पण कर दिया।

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