Ranchi : सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, धुर्वा में छह दिवसीय आचार्य प्रशिक्षण वर्ग सह कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। आचार्य प्रशिक्षण वर्ग सह कार्यशाला का उद्घाटन सोमवार को पूज्य स्वामी परिपूर्णानंद जी महाराज, आचार्य, चिन्मय मिशन, रांची के करकमलों द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। मुख्य अतिथि का स्वागत और सम्मान शिशु विकास मंदिर समिति (झारखंड), धुर्वा, रांची के अध्यक्ष शक्तिनाथ लाल दास ने अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया। कार्यक्रम की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए विद्यालय के मंत्री अखिलेश्वर नाथ मिश्र ने कहा कि प्रशिक्षण वर्ग नवनियुक्त आचार्य के लिए एवं कार्यशाला पूर्व से कार्यरत आचार्य के लिए प्रतिवर्ष आयोजित होता आ रहा है। इस तरह के आयोजन शिशु विकास मंदिर योजना की जानकारी, विषयों की जानकारी, संस्कार जैसे अनेक विषयों पर विस्तृत चर्चा के लिए मंच प्रदान करता है। दैनिक गतिविधियां चार सत्रों में विभाजित की गयी हैं।
आचार्य प्रशिक्षण वर्ग सह कार्यशाला के मुख्य अतिथि पूज्य स्वामी परिपूर्णानंद जी महाराज ने कहा कि गुरु और शिष्य को अपने कर्तव्यों का निर्वाह अच्छी तरह से निभाना चाहिए। उन्होंने कहा कि गुरु, भगवान और राजा के पास खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। शिष्य के पास भेंट करने के लिए कोई वस्तु नहीं होने पर गुरु के समक्ष हाथ जोड़कर जाना चाहिए। आचार्य व्यक्ति निर्माण करते हैं शिक्षण कार्य एक दायित्व है। आचार्यों को यह सुनिश्चित करना होगा कि क्या वे नियत कार्यों का संपादन कर रहे हैं या नहीं। नियत कर्म सहजता से प्राप्त है।
परिस्थितियों का विरोध न करें, उसके साथ चलें। परिस्थितियां हमारे पूर्व के कर्मों का ही परिणाम है। अत: वर्तमान कर्मों को सही प्रकार निर्वहन करें। शिशु विकास मंदिर समिति के अध्यक्ष शक्तिनाथ लाल दास ने अपने भाषण में कहा कि स्वामी जी के बताये मार्ग पर चलकर ही अपने राष्ट्र को महान बना सकते हैं। वहीं, द्वितीय सत्र में शिक्षक प्रशिक्षण में सहायक आचार्य शुभ्रा सिंह ने कक्षा प्रबंधन विषय पर आचार्यों को प्रशिक्षण दिया। तृतीय सत्र में नैतिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा विषय पर नर्मदेश्वर मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि नैतिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक एवं मूल्य आधारित शिक्षा के द्वारा ही विद्यार्थियों में राष्ट्रीय भावना का उदय हो सकता है। नैतिकता का पतन होने पर विद्यार्थी अपने को तो कष्ट देगा ही, साथ ही अपने परिवार, समाज और राष्ट्र को भी कष्ट देगा। विद्यार्थी को मन, वचन और कर्म से अच्छा होना चाहिए।
चतुर्थ सत्र में शारीरिक गतिविधियों के तहत खेल, योग प्राणायाम एवं आसन का अभ्यास आचार्य द्वारा किया गया। इस अवसर पर शिशु विकास मंदिर समिति (झारखंड), धुर्वा, रांची के सह मंत्री डॉ. धनेश्वर महतो, डॉ. उमाशंकर शर्मा, सदस्य, आशीष नाथ शाहदेव, सदस्य, लाल अशोक नाथ शाहदेव, सदस्य, विजय केशरी, सदस्य, विनोद कुमार सिंह एवं प्राचार्य ललन कुमार उपस्थित रहे।