Ahmedabad : अदाणी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (एपीएसईजेड) ने वित्त वर्ष 24 में 420 मिलियन मीट्रिक टन (24 प्रतिशत से अधिक सालाना वृद्धि) कार्गो संभाला है (जिसमें अंतर्राष्ट्रीय पोर्ट्स भी शामिल हैं)। इसमें घरेलू पोर्ट्स ने 408 एमएमटी से अधिक कार्गो का योगदान दिया है। इसने मार्च 2024 में अब तक का सबसे अधिक मासिक कार्गो वॉल्यूम (अंतर्राष्ट्रीय पोर्ट्स सहित) 38 एमएमटी से अधिक का भी संचालन किया है। हमारे दस पोर्ट्स और टर्मिनलों ने रिकॉर्ड कार्गो वॉल्यूम का संचालन किया है जिसमें, मुंद्रा 180 एमएमटी, टूना 10 एमएमटी, हजीरा 26 एमएमटी, मोरमुगाओ 5 एमएमटी, कराईकल 12 एमएमटी, एन्नोर 13 एमएमटी, कट्टुपल्ली 12 एमएमटी, कृष्णापत्तनम 59 एमएमटी, गंगावरम 37 एमएमटी और धामरा 43 एमएमटी शामिल हैं।
वित्त वर्ष 24 के दौरान भारत के सभी कार्गो वॉल्यूम का एक-चौथाई से अधिक एपीएसईजेड के पोर्ट्स के माध्यम से भेजा गया था। एपीएसईजेड के इस महत्वपूर्ण योगदान से भारत के विकास पथ को गति देने में इसकी सक्रिय भूमिका का पता चलता है। यह भी बताता है कि भारत के सबसे बड़े पोर्ट आॅपरेटर ने वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रदान किये गये 370 एमएमटी से 390 एमएमटी के अपने कार्गो वॉल्यूम गाइडेंस को आसानी से पार कर लिया।
एपीएसईजेड के प्रबंध निदेशक करण अदाणी ने बताया कि कंपनी को सालाना कार्गो का पहला 100 एमएमटी हासिल करने में 14 साल लग गये, लेकिन दूसरा और तीसरा 100 एमएमटी सिर्फ पांच और तीन साल में ही हासिल कर लिया गया। अब हाल ही में सिर्फ दो साल से भी कम समय में 100 एमएमटी का आंकड़ा पार कर लिया गया है। ये हमारी लगातार मेहनत और बेहतर काम करने के तरीके अपनाने की प्रतिबद्धता का नतीजा है, जिससे हम उद्योग जगत में सबसे बेहतरीन पोर्ट आॅपरेटर बने रह सकें।
एपीएसईजेड ने इतनी तेजी से तरक्की इसलिए की है, क्योंकि वो हर फैसले में सबसे पहले अपने ग्राहकों को ध्यान में रखता है। ग्राहकों के साथ मिलकर रणनीतिक साझेदारी करने की उनकी नीति की वजह से कंपनी प्रमुख स्टेकहोल्डर्स के साथ लंबे समय तक चलने वाले संबंध बना पाई है। साथ ही, विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रचर में निवेश करने और बेहतर परिचालन दक्षता देने वाले बिजनेस मॉडल अपनाने से भी एपीएसईजेड को फायदा हुआ है। उनका बिजनेस मॉडल आखिर तक की डिलीवरी यानी लास्ट-माइल कनेक्टिविटी पर भी ध्यान देता है। इनकी बदौलत एपीएसईजेड नए ग्राहक बनाने और बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में कामयाब रहा है।
इन उपलब्धियों को यह तथ्य और भी खास बनाता है कि इन्हें कई चुनौतियों के बावजूद हासिल किया गया। इन चुनौतियों में लाल सागर संकट के कारण वैश्विक व्यापार में व्यवधान, रूस-यूक्रेन युद्ध, पनामा नहर पर आई परेशानियां, और साइक्लोन बिपरजॉय तथा साइक्लोन मिचौंग के कारण हुए व्यवधान शामिल हैं। इस साल एपीएसईजेड ने कई नये रिकॉर्ड बनाये हैं। कंपनी के प्रमुख पोर्ट मुंद्रा ने अकेले अक्टूबर 2023 में 16 एमएमटी कार्गो संभालकर भारत में पहला स्थान हासिल किया। साथ ही, कंपनी के कंटेनर टर्मिनल सीटी-3 ने पूरे साल में 30 लाख टीईयू और सिर्फ नवंबर 2023 में ही करीब तीन लाख टीईयू संभालकर भारत में पहला स्थान प्राप्त किया (टीईयू कंटेनरों को मापने की इकाई है)। इसके अलावा, एपीएसईजेड ने भारत में अब तक के सबसे बड़े जहाज (लगभग 399 मीटर लंबा और 54 मीटर चौड़ा) को अपने पोर्ट पर लाने में सफलता हासिल की और एमवी एमएससी लिवोर्नो नाम के इस जहाज से 16,569 टीईयू उतार कर राष्ट्रीय रिकॉर्ड (16,400 टीईयू) को तोड़ दिया। इस साल एपीएसईजेड ने 4,300 से ज्यादा जहाजों को संभाला, जो कि उनके पिछले रिकॉर्ड 3,938 जहाजों से भी अधिक है।
कंटेनरों को ले जाने वाले जहाजों के मामले में मुंद्रा, हजीरा, कट्टुपल्ली और एन्नोर पोर्ट्स ने रिकॉर्ड वॉल्यूम में कार्गो संभाला है। भारत में लगभग 44 प्रतिशत कंटेनरीकृत समुद्री कार्गो, एपीएसईजेड के पोर्ट्स से होकर गुजरता है। पिछले 5 वर्षों में एपीएसईजेड के कंटेनरों का वॉल्यूम, पूरे भारत में कंटेनरों की वृद्धि (लगभग 11 प्रतिशत) की तुलना में दोगुनी (लगभग 5 प्रतिशत) हुई है। मुंद्रा पोर्ट ने रेल द्वारा रिकॉर्ड कंटेनर वॉल्यूम 1.9 एमटीईयू को संभाला, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में 12 प्रतिशत की वृद्धि है। फरवरी 2024 तक, पिछले साल के 54 प्रतिशत की तुलना में डबल स्टैक गुणांक 59 प्रतिशत था।
ड्राई कार्गो के मामले में इस वित्तीय वर्ष में टूना, मोरमुगाओ, कराईकल, कृष्णपट्नम, गंगावरम और धमरा जैसे पोर्ट ने रिकॉर्ड वॉल्यूम में कार्गो संभाला है। धामरा पोर्ट ने अपनी पहली एलएनजी से चलने वाली केप-साइज्ड जहाज, एमवी उबंटू यूनिटी को जहाज पर लाने में सफलता हासिल की, जबकि कृष्णपट्नम पोर्ट ने अब तक के सबसे बड़े जहाज को अपने पोर्ट पर लाने में कामयाबी हासिल की, जिसकी लंबाई (एलओए) 335.9 मीटर और चौड़ाई (बीम) 42.9 मीटर है। लिक्यूड कार्गो के मामले में, मुंद्रा, कट्टुपल्ली, कृष्णपट्नम और धामरा पोर्ट२२ ने रिकॉर्ड वॉल्यूम में कार्गो संभाला है।