Ranchi : भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि हेमंत सरकार ने पिछले पांच वर्षों में झारखंड के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार देने का काम किया। तुष्टिकरण और सांप्रदायिकता की राजनीति चरम पर पहुंच गई लेकिन शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं पूरे तरीके से इस सरकार में ध्वस्त हो गई। वह मंगलवार काे प्रदेश मुख्यालय में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।
प्रतुल ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार झारखंड के विभिन्न मिडिल स्कूलों में 96 प्रतिशत प्रिंसिपल के पद खाली है। सब प्रभार पर चल रहा है। कुल 3218 में 3163 पद मिडिल स्कूलों में खाली पड़े हैं। शिक्षा इस सरकार की प्राथमिक सूची में है ही नहीं। सरकार को झारखंड के नौनिहालों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है। प्रतुल ने कहा, धनबाद और सरायकेला जैसे जिलों में तो एक भी मिडिल स्कूल में पूर्णकालिक प्रिंसिपल कार्यरत नहीं है। इसके कारण बच्चों की पढ़ाई का ख्याल नहीं रखा जाता है। यह पूरे तरीके से शिक्षा तंत्र को बर्बाद करने की सुनियोजित साजिश है।
प्रतुल ने कहा कि प्रदेश में यदि शिक्षकों की बात करें तो सभी वर्गों को मिलाकर कुल 68 फीसदी शिक्षकों के पद खाली है। हेमंत सरकार ने 60 हजार पारा शिक्षकों को हेमंत सरकार ने नियमित करने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी भी इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। उल्टे प्रजातांत्रिक तरीके से प्रदर्शन करने वाले पारा शिक्षकों पर इस सरकार ने बर्बरता से लाठियां चलाई थी और फर्जी मुकदमों से लाद दिया था।
प्रतुल ने कहा कि इसी तरीके से इस सरकार ने स्वास्थ्य व्यवस्था को पूरे तरीके से ध्वस्त कर दिया। झारखंड में प्रति लाख की आबादी पर सिर्फ 6 डॉक्टर है, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। विशेषज्ञ डॉक्टर के 85 प्रतिशत पद खाली हैं, जो हेमंत सरकार की उदासीनता को दिखाता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में सफलता से चल रही विश्व की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस योजना आयुष्मान भारत का इस सरकार ने भट्ठा बैठा दिया। कई अस्पतालों ने भुगतान नहीं मिलने के कारण आयुष्मान कार्ड लेना बंद कर दिया। महिलाओं के अधिकार का ढोंग करने वाली इस सरकार में संस्थागत प्रसव से राज्य की 25 प्रतिशत आबादी को वंचित रखा है। हजारीबाग, सिमडेगा, पूर्वी सिंहभूम और रामगढ़ जैसे जिलों में संस्थागत प्रसव का प्रतिशत तो 60 प्रतिशत से भी कम है। राज्य सरकार के स्वास्थ्य उप केंद्र, प्राथमिक चिकित्सा केंद्र, सामुदायिक चिकित्सा केंद्र आदि में डॉक्टरों की बात छोड़ ही दीजिए। जल्दी कंपाउंडर भी नहीं मिलते हैं। नर्स स्वास्थ्य व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। झारखंड में नसों की कुल क्षमता 5872 है लेकिन झारखंड के 17 जिलों में 52 प्रतिशत नर्सों की कमी है। सरकार नें नर्सो की कमी को पूरा करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। 108 एंबुलेंस सेवा भी इस सरकार ने 5 वर्षों में पूरे तरीके से पंगु बना दिया है।
आदिवासी पुलिस अत्याचार के सबसे ज्यादा शिकार
प्रतुल ने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में आदिवासियों को निशाना बनाने वाली कुर्ता का एक पैटर्न सामने आया है। अक्सर आदिवासियों को माओवादी समर्थक होने या चोरी जैसे छोटे अपराधों के आरोप में गिरफ्तार का निशाना बनाया गया। 33 लोग पुलिस जुल्म के शिकार हुए, जिसमें 23 लोग अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं। अपने आप को आदिवासियों की सरकार कहने वाली सरकार ने अपनी पुलिस के जरिए सबसे ज्यादा जुल्म भोले-भाले आदिवासियों पर करवाया है। प्रतुल शाहदेव ने कहा, जनता 23 नवंबर का बेसब्री से इंतजार कर रही है जब झारखंड के इतिहास की सबसे भ्रष्ट सरकार की विदाई हो जाएगी।