नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या वाले कानपुर के बिकरू कांड की आरोपित खुशी दुबे को सशर्त जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तब खुशी नाबालिग थी। मुकदमा शुरू हो चुका है, इसलिए जेल में रखना ज़रूरी नहीं है। कोर्ट ने कहा कि खुशी के कानपुर जाने पर रोक नहीं है, लेकिन वो हर हफ्ते थाने में जाकर हाजिरी भरे।
कोर्ट ने 15 सितंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। विकास दुबे के सहयोगी अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे कानपुर के बिकरू में पुलिस मुठभेड़ के दौरान पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में आरोपित है। उसका कहना था कि वो नाबलिग है। यूपी पुलिस के मुताबिक विकास दुबे ने उज्जैन से गिरफ्तारी के बाद कानपुर लाते वक्त पुलिस के कब्जे से भागने की कोशिश की थी, इसलिए वह एनकाउंटर के दौरान मारा गया था।
खुशी दुबे पर आरोप है कि उसने बिकरू गांव में हुई मुठभेड़ में सक्रिय भागीदारी की थी। खुशी दुबे की जमानत याचिका ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट से खारिज हो चुकी थी। खुशी दुबे का कहना था कि बिकरू मुठभेड़ मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं थी।
बिकरू कांड:
जुलाई 2020 का वाकया है, जब चौबेपुर के तत्कालीन सीओ के साथ पुलिस फोर्स कुख्यात अपराधी विकास दुबे को गिरफ्तार करने उसके बिकरू गांव स्थित घर पर गई थी। वहां विकास दुबे के गुर्गों ने पुलिस बल पर अंधाधुंध फायरिंग की। विकास दुबे के गुर्गों के इस हमले में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई करते हुए दुबे के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। पुलिस ने बाद में अमर दुबे समेत मामले के 4 आरोपितों को एनकाउंटर में मार गिराया।
बिकरू कांड के दो दिन पहले ही खुशी दुबे की अमर दुबे से शादी हुई थी। इस मामले में अमर दुबे की नवविवाहिता पत्नी खुशी दुबे पर हमलावरों को उकसाने के आरोप में केस दर्ज किया गया। सह अभियुक्त बनाकर खुशी दुबे को जेल में डाल दिया गया।