प्रज्जवल मिश्रा
Chatra : स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र, चतरा के द्वारा ग्राम-मैराग, प्रखण्ड-प्रतापपुर में सरसों प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया। आयोजन में करीब 150 किसान शामिल हुए। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची के माननीय कुलपति डॉ0 सुनील चंद दूबे के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में अनुमण्डल कृषि पदाधिकारी निकहत प्रवीन, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ0 पीके सिंह, निदेशक, अनुशंधान, डॉ0 अरूण कुमार, वैज्ञानिक बि0कृ0वि0, रांची, डॉ0 सुर्यप्रकाश, वैज्ञानिक पौधा प्रजनन विभाग, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची उपस्थित थें। उद्घाटन के उपरांत कार्यक्रम का संचालन करते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, चतरा के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ रंजय कुमार ंिसंह ने आए हुए अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि तेलहनी फसलों में सरसों की खेती चतरा जिले की एक महत्वपूर्ण फसल है। वर्तमान में इस जिले में करीब 10000 हेक्टेयर भूमि पर इसकी खेती की जा रही है, जिले में इसकी औसत उपज 8 से 10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हैं जो अन्य जिले के अपेक्षा काफी कम है जब कि जिले की मिट्टी एवं अन्य संसाधनों का समुचित उपयोग करके उपज क्षमता बढ़ाई जा सकती है।
उन्होंने कहा कि उन्नत किस्म, अनुसंसीय सस्य प्रक्रियाए संतुलित उर्वरक का व्यवहार, किट ब्याधी का नियंत्रण एवं कटाई प्रबंधन का उपयोग कर प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने के साथ.साथ किसानों की आमदनी भी बढ़ाई जा सकती हैं। इही बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान कन्द्र, चतरा के द्वारा समूह अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन (CFLD) प्रोजेक्ट के अन्तर्गत बी0बी0एम0-1 प्रभेद के सरसों का प्रत्यक्षण इस ग्राम में किया और काफी अच्छी उपज देखी जा रही हैं। अच्छी फसल के उपलक्ष्य में आज प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन किया गया है। मुख्य अतिथि के रूप में शामिल माननीय कुलपति डॉ0 सुनील चंद दूबे ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने कई पहल की है। सरसों की खेती को बढ़ाने से राज्य के किसानों को फ़ायदा होगा, उन्होंने कहा कि सरसों की खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने झारखंड को चुना है, सरसों की खेती को बढ़ाने के लिए नई किस्मों और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाए तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी, और अधिक लाभ कमा सकेगें। सरसों की खेती से किसानों को बेहतर कीमत मिल पाएगी।
सरसों की खेती कम बारिश में भी की जा सकती है। इसकी खेती करने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, इसमे अधिक पानी की भी आवश्यकता नहीं हैं। उन्होनें कहा कि चतरा जिले के किसान काफी मेहनती हैं, जो अपनी मेहनत से इस तरह शानदार सरसों की खेती की हैं। कार्यक्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के डॉ0 पीके सिंह, निदेशक, अनुशंधान, डॉ0 अरूण कुमार, वैज्ञानिक बि0कृ0वि0, रांची, डॉ0 सुर्यप्रकाश, वैज्ञानिक पौधा प्रजनन विभाग, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची ने भी किसानों को संबांधित करते हुए सरसों से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। कार्यक्रम में अनुमण्डल कृषि पदाधिकारी निकहत प्रवीन ने किसानों से कहा कि आने वाले समय में कृषि से संबंधित और भी परियोजना इस ग्राम में चलाया जायेगा। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केन्द्र, चतरा के वैज्ञानिक विनोद कुमार पाण्डेय, धर्मा उरॉव, उपेन्द्र कुमार सिंह, मो0 जुनैद आलम, अभिजित घोष, अभिषेक घोष, किशोरी कान्त मिश्र, रूपलाल कुमार भोक्ता शामिल थे।