मुकेश रंजन
Ranchi : देशभर में रामनवमी का पावन पर्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में विशेष महत्व रखता है। साथ ही, आज चैत्र नवरात्रि का नवां और अंतिम दिन भी है। जिसे महानवमी के रूप में जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप, मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है, जो भक्तों को सिद्धि और मोक्ष प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं।
रांची के कांके प्रखंड स्थित सुकुरहुटू गांव में इस वर्ष रामनवमी का पावन पर्व अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया गया। 107वें रामनवमी डोल मेले के अवसर पर, सुकुरहुटू साहू टोला स्थित श्री कृष्ण मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया, जहां हजारों श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
रामलला का अभिषेक और श्रृंगार
सुबह 9:30 बजे से रामलला के अभिषेक का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ, जो एक घंटे तक चला। इसके पश्चात, 10:30 बजे से भगवान का भव्य श्रृंगार किया गया। जिसमें उन्हें विविध आभूषणों और वस्त्रों से अलंकृत किया गया।
डोल मेला भी आकर्षण का केंद्र रहा है
बैठक में ग्रामवासियों और अखाड़ा धारियों की उपस्थिति में निर्णय लिया गया कि रामनवमी डोल मेला पूर्व की भांति पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा। इस आयोजन में नौ कुंवारी कन्याओं और एक बालक भैरव का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है। इसके अलावा, अस्त्र-शस्त्र चालन, झांकियां, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जो मेले की शोभा बढ़ाते हैं। सुकुरहुटू का यह रामनवमी डोल मेला क्षेत्र में अपनी विशिष्ट परंपराओं और भव्य आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
गर्मी को ध्यान में रखते हुए, प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए पेयजल और छाया की विशेष व्यवस्था की। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती की गई, और आपातकालीन स्थितियों के लिए एंबुलेंस भी तैनात रहीं।
डोल मेला परंपरा और उत्साह का संगम
रामनवमी डोल मेला पूर्व की भांति पूरे उत्साह और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाएगा। इस आयोजन में नौ कुंवारी कन्याओं और एक बालक भैरव का पूजन करके उन्हें भोजन कराया जाता है और आशीर्वाद लिया जाता है। इसके अलावा, अस्त्र-शस्त्र चालन, झांकियां, और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है, जो मेले की शोभा बढ़ाते हैं।
सुकुरहुटू का यह रामनवमी डोल मेला क्षेत्र में अपनी विशिष्ट परंपराओं और भव्य आयोजनों के लिए प्रसिद्ध है। जिसमें स्थानीय निवासियों के साथ-साथ दूर-दराज से आए श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।