वाशिंगटन। अमेरिकी आकाश तक पहुंचे चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराने के बाद अमेरिका ने गुब्बारे का मलबा चीन को लौटाने से इनकार कर दिया है। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि इस घटना से दोनों देशों के रिश्ते कमजोर नहीं हुए हैं।
बीते शुक्रवार को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने अमेरिकी आकाश में चीन के एक जासूसी गुब्बारे के उड़ान भरने की बात कही थी। शनिवार को लैटिन अमेरिका के आकाश में एक अन्य चीनी जासूसी गुब्बारे के उड़ान भरने की बात सामने आई थी। माना जा रहा था कि चीन इन गुब्बारों के माध्यम से अमेरिका और उसके आसपास के क्षेत्रों से अहम जानकारियां जुटाने की कोशिश कर रहा है। चीनी जासूसी का मामला सामने आने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपनी चीन यात्रा स्थगित कर दी और अमेरिकी वायु सेना ने चीन के जासूसी गुब्बारे को मार गिराया। अमेरिकी फाइटर जेट एफ-22 की मदद से जासूसी गुब्बारे पर मिसाइल से हमला किया गया था। जासूसी गुब्बारे को मार गिराए जाने के बाद चीन ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अमेरिका को अंजाम भुगतने की चेतावनी दी थी। चीन ने इस कार्रवाई को राजनीतिक स्टंट बताते हुए जरूरत पड़ने पर अमेरिका को करारा जवाब देने की बात भी कही थी।
अब अमेरिका ने गुब्बारे का मलबा चीन को लौटाने से इनकार कर दिया है। अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि मलबे को वापस करने की कोई योजना नहीं है। अमेरिकी सेना की उत्तरी कमान के कमांडर जनरल ग्लेन वानहर्क के मुताबिक, गुब्बारे की ऊंचाई 200 फीट तक थी। उन्होंने कहा कि इसमें कई हजार पाउंड वजन का पेलोड था, जो मोटे तौर पर एक क्षेत्रीय जेट विमान के आकार का था। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उनका हमेशा से मानना रहा है कि गुब्बारे को जितनी जल्दी हो सके मार गिराया जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या गुब्बारे की घटना से अमेरिका-चीन संबंध कमजोर हुए हैं? बाइडन ने कहा कि नहीं, हमने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि हम क्या करने जा रहे हैं। वे हमारी स्थिति को समझते हैं। हम पीछे नहीं हटने वाले। हमने सही काम किया और यह कमजोर या मजबूत होने का सवाल नहीं है, यह वास्तविकता है।