Hazaribagh : आईसेक्ट विश्वविद्यालय के मुख्य कैंपस सभागार में सोमवार को विश्वविद्यालय के एनएसएस इकाई के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित कर स्वामी विवेकानंद के जयंती को लेकर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत स्वामी विवेकानंद को पुष्पांजलि अर्पित के साथ हुई। मौके पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक ने कहा कि युवा पीढ़ी के माध्यम से ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। इसलिए आज के युवाओं को स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं को अपनाने और उसे अपने जीवन में शामिल करने की जरूरत है। ताकि युवा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए खुद को सशक्त बना सकें। उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद का जीवन समर्पण और संघर्ष का प्रतीक है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि जिस प्रकार स्वामी विवेकानंद ने ध्यान साधना के माध्यम से थोड़े समय में ही असाधारण कार्य किए। ठीक उसी प्रकार हर युवा अपनी मन व बुद्धि को एकाग्र कर अपनी आंतरिक शक्तियों को जागृत कर सकते हैं और देशहित में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बात की मुझे पूरी उम्मीद है कि युवा सामर्थ्य ही भारत को विकसित भारत बनायेगा।
उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि आप जो भी सोचेंगे, वही बनेंगे। अगर आप खुद को कमज़ोर समझेंगे, तो आप कमज़ोर बनेंगे। अगर आप खुद को मज़बूत समझेंगे, तो आप मज़बूत बनेंगे। इसलिए सभी को हमेशा सोंच सकारात्मक रखने की जरूरत है। इस अवसर पर एनएसएस समन्वयक डॉ रोजी कांत ने स्वामी विवेकानंद से जुड़े संस्मरण सहित उनके सोंच को लेकर अपने विचार रखे और कहा कि आज का युवा अपने कार्यों से भारत के संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने का सेतु बनेगा।
इस दरम्यान स्वामी विवेकानंद के विचारों और उनके युवाओं के प्रति दृष्टिकोण पर आधारित भाषण एवं स्वरचित कविता प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसके विजेता प्रतिभागियों को आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के दिन विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पुरस्कृत किया जाएगा, जो न केवल उनकी उपलब्धियों को मान्यता देगा, बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रेरित करेगा। कार्यक्रम में
कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, कला एवं मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ रितेश कुमार, सबिता कुमारी, मुकेश कुमार, फरहीन सिद्दीकी, प्रतिभा हेंब्रम, राजेश रंजन, प्रीति वर्मा सहित कई प्राध्यापक-प्राध्यापिकाओं व कर्मियों के अलावा राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक एवं सेविकाओं के साथ साथ कई विद्यार्थी शामिल थे।