New Delhi : दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना गहरा दबाव क्षेत्र अब धीरे-धीरे चक्रवात ‘मोंथा’ का रूप ले रहा है। तमिलनाडु में ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया गया है और मछुआरों को समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर सर्दियों में ही ज्यादातर चक्रवाती तूफान क्यों आते हैं?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, सर्दियों में भले ही हवा ठंडी हो जाती है, लेकिन समुद्र का पानी लंबे समय तक गर्म बना रहता है, जो चक्रवात बनने की ऊर्जा प्रदान करता है। दरअसल, चक्रवात बनने के लिए समुद्र की सतह का तापमान कम से कम 26 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक होना चाहिए। गर्म पानी से हवा ऊपर उठती है और कम दबाव का क्षेत्र बनता है। जब यह कम दबाव नमी और तेज हवाओं के साथ मिलकर घूमने लगता है, तो चक्रवात बनता है।
भारत में अक्टूबर से दिसंबर तक का समय पोस्ट-मानसून सीजन कहलाता है। इस दौरान हवा की दिशा और दबाव में बदलाव आता है, जिससे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवात बनने की संभावना बढ़ जाती है। सर्दियों की शुरुआत में समुद्र का पानी अब भी काफी गर्म रहता है, इसलिए तूफानों को पर्याप्त ऊर्जा मिलती रहती है।
यानी, ठंड सीधे तौर पर चक्रवात नहीं लाती, बल्कि गर्म समुद्र और बदलती हवाएं मिलकर चक्रवात बनने का अनुकूल माहौल तैयार करती हैं। जैसे-जैसे दिसंबर के बाद समुद्र का तापमान घटता है, वैसे-वैसे चक्रवातों की संभावना भी कम हो जाती है।



