विशेष संवाददाता
Ranchi : कभी पिठोरिया क्षेत्र के खेतों की सिंचाई का प्रमुख स्रोत रहा जमुवारी मौजा स्थित सरकारी तालाब आज उपेक्षा और अतिक्रमण की मार झेल रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि यह ऐतिहासिक जलस्रोत अब भू-माफियाओं के निशाने पर है, जहां मिट्टी भरकर बहुमंजिला इमारतें खड़ी की जा रही हैं।

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जल है तो कल है की भावना पर संकट:
ग्रामीणों की माने तो यह तालाब केवल जल नहीं, जीवन का स्रोत था पशुपालन से लेकर कृषि तक इसकी भूमिका अहम रही। परंतु अब इसके अस्तित्व पर संकट गहराता जा रहा है।
शिकायतें दर्ज, कार्रवाई नहीं :
24 मई 2023 को ग्रामीणों ने पिठोरिया थाना में लिखित शिकायत सौंपी थी, जिसमें अतिक्रमण की विस्तृत जानकारी दी गई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत के बावजूद ठोस कार्रवाई नहीं हुई और उल्टे उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ी।
स्थानीय लोगों ने नक्शा, खतियान और मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से तालाब की स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाई है। बावजूद इसके, निर्माण कार्य थमा नहीं है। यह प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाता है।

सिंचाई से साहूकारी तक , किसानों का बदला भविष्य:
तालाब सूखने से खेतों की हरियाली भी मुरझा गई है। किसान बताते हैं कि अब उन्हें साहूकारों से कर्ज लेकर खेती करनी पड़ रही है। जिससे आर्थिक संकट और गहरा गया है।
ग्रामीणों की मांगें:
- उच्च स्तरीय व निष्पक्ष जांच की जाए।
- तालाब की जमीन पर अवैध निर्माण को हटाया जाए।
- दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई हो।
- तालाब का पुनरुद्धार कर सिंचाई व्यवस्था बहाल की जाए।
प्रशासन से जवाबदही की अपेक्षा:
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते ध्यान नहीं दिया, तो न केवल खेत बल्कि किसानों का भविष्य भी खतरे में पड़ जाएगा।