भगवान जगन्नाथ की भव्य परंपरा का एक अहम दिन आज है। देव स्नान पूर्णिमा के इस शुभ अवसर पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा का विधिपूर्वक जलाभिषेक किया जाएगा। यह आयोजन हर वर्ष पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया जाता है, जो रथ यात्रा की शुरुआत से पूर्व होता है।
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आज दोपहर 2:00 बजे से 3:30 बजे तक भक्तों को देव स्नान के लिए भगवान जगन्नाथ के दर्शन और जलाभिषेक का सौभाग्य मिलेगा। यह धार्मिक परंपरा जगन्नाथ संस्कृति की एक अत्यंत पवित्र विधि है, जिसे विशेष पर्व के रूप में देखा जाता है।
3:30 बजे से मंगल आरती का आयोजन होगा, जिसमें मंदिर के पुजारीगण वेद मंत्रों और भजनों के साथ भगवान की आरती करेंगे। इसे अत्यंत शुभ माना जाता है।
इसके बाद शाम 4:00 बजे भगवान जगन्नाथ अनवसर यानी एकांतवास में चले जाएंगे। इस धार्मिक प्रक्रिया के अनुसार, स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें उपचार हेतु एकांत में रखा जाता है। इस दौरान किसी को भी उनके दर्शन नहीं होते। यह समय ‘अनवसर’ कहलाता है और लगभग 15 दिन तक चलता है। इसके बाद भगवान अपने स्वास्थ्य लाभ के बाद ‘नवयुवन’ रूप में बाहर आते हैं और रथ यात्रा की भव्य तैयारी शुरू होती है।