Ranchi : झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन की ओर से स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के 3,120 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए 2023 में आयोजित की गयी परीक्षा विवादों में घिर गयी है। यह परीक्षा सीबीटी (कंप्यूटर बेस्ड) मोड में ली गयी थी और इसके लिए राज्य में कुल 24 सेंटर बनाये गये थे। इनमें से पांच सेंटरों से 1,500 कैंडिडेट्स सफल घोषित किये गये हैं, यानी कुल सफल कैंडिडेट्स में 48 फीसदी ऐसे हैं, जिन्होंने इन सेंटरों पर परीक्षा दी थी। सबसे ज्यादा टॉपर्स भी इन्हीं सेंटरों से हैं। सफल घोषित कैंडिडेट्स में 1,020 को सरकार ने लोकसभा चुनाव की घोषणा के पहले ही नियुक्ति पत्र दे दिया है। जबकि, शेष 2,100 को नियुक्ति पत्र देने के पहले उनके सर्टिफिकेट्स की जांच की प्रक्रिया चल रही है।
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अब इसकी सीबीआई जांच की मांग को लेकर कई परीक्षार्थियों ने हाईकोर्ट में रिट दायर कर रखी है। याचिका पर अगली सुनवाई जुलाई के अंतिम हफ्ते में होनी है। परीक्षार्थियों का कहना है कि स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों के 3,120 रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए 2023 में आयोजित परीक्षा में कुछ खास सेंटरों के परीक्षार्थी सबसे ज्यादा सफल घोषित किये गये हैं। इसे लेकर छात्रों द्वारा धरना-प्रदर्शन भी किया गया है। साथ ही मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन से लेकर जेएसएससी को ज्ञापन सौंपे गए हैं। परीक्षा में गड़बड़ियों से जुड़े सवाल सोशल मीडिया पर भी उठाए जा रहे हैं। चुने गए कैंडिडेट्स में 481 ऐसे हैं, जिन्होंने बोकारो के एक ही सेंटर पर परीक्षा दी थी।
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परीक्षा और रिजल्ट में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले परीक्षार्थियों की मांग है कि नियुक्ति प्रक्रिया स्थगित कर पूरे मामले की जांच करायी जाये। इधर, अदालत ने मामले में राज्य सरकार व जेएसएससी को चार सप्ताह के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने कहा था कि एक सेंटर श्रेया डिजिटल केंद्र, बोकारो से 481 अभ्यर्थियों को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाया गया है, जिससे पता चलता है कि परीक्षा पहले से ही फिक्स थी।