Hazaribagh: आईसेक्ट विश्वविद्यालय के कृषि विभाग की ओर से मशरूम की खेती एवं उत्पादन को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार
को विश्वविद्यालय सभागार में हुई। बता दें कि इस तीन दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान मशरूम के अलग-अलग प्रकार के पहचान की तकनीक और मशरूम की पैदावार को बेहतर बनाने के आवश्यक तत्वों को विस्तार पूर्वक बताया जाएगा। साथ ही सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाणपत्र भी प्रदान की जाएगी। इससे पूर्व कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन गुरुवार को कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि आत्मा हजारीबाग के परियोजना निदेशक विल्सन आनंद कुजूर, मुख्य वक्ता राष्ट्रीय चावल अनुसंधान हजारीबाग के वरीय वैज्ञानिक डॉ अनीता बनर्जी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो पीके नायक, कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद, डीन एडमिन डॉ एसआर रथ, डीन एकेडमिक डॉ एमके मिश्रा, वोकेशनल निदेशक डॉ बिनोद कुमार, कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार, विभागाध्यक्ष डॉ सत्यप्रकाश विश्वकर्मा सहित अन्य के हाथों दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
विषय प्रवेश कराते हुए कृषि संकायाध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार तीन दिवसीय कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा बतायी और कहा कि झारखंड की जलवायु मशरूम की खेती के लिए उपयुक्त है। साथ ही मशरूम के पैदावार के नए तकनीक से घर के अंदर भी मशरूम का उत्तम पैदावार की जा सकती है। इससे जुड़ी तमाम तकनीकों से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया जाएगा। इसके बाद विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मुनीष गोविंद ने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर से समय-समय पर ऐसे कार्यशाला का आयोजन कराया जाता है ताकि आधुनिक तकनीकों से लोग अवगत हो सके और उसे कृषि कार्यों में अपनाकर ना केवल किसान अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर सके बल्कि उन्नत और रासायन मुक्त पैदावार भी कर सके, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ना हो। मौके पर मौजूद आत्मा हजारीबाग के परियोजना निदेशक विल्सन आनंद कुजूर ने हजारीबाग जिला में मशरूम उत्पादन एवं सरकार के द्वारा मिलने वाली आर्थिक सहायता के बारे में विस्तृत जानकारी दी और कृषि संकाय के विद्यार्थियों को अपने अपने गांवों में मशरूम उत्पादन को लेकर कृषकों को उत्प्रेरित करने की अपील की।
इसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीके नायक ने झारखंड में मशरूम के व्यापारिक संभावनाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि व्यापारिक दृष्टिकोण से भी मशरूम, कृषकों के लिए अहम साबित हो सकता है। मुख्य वक्ता डॉ अनीता बनर्जी ने तकनीकी सत्र में मशरूम लगाने की विधि और इसके रखरखाव की विधि को लेकर जानकारी दी। भोजनावकाश के बाद डॉ सत्यप्रकाश विश्वकर्मा, प्रशिक्षक अंजान साहा व कमलेश कुमार के द्वारा उपस्थित कृषक एवं प्रशिक्षणार्थियों को प्रायोगिक रूप से प्रशिक्षण दिया गया। मंच संचालन सहायक प्राध्यापिका फरहीन सिद्दीकी ने किया।